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स्तोत्र.
नियसमदंतयंति जयजय चंदप्पहवंदकंति ॥ ३ ॥ जय पण्यपालिगणकप्परु रक जय जगडिय पयमकसयपरक ॥ जय निम्मल केवलनाएगेह, जयजयजिलिं द पडिमदेह ॥ ४ ॥
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॥ शौरसेनी ॥
foresees मोहारिके दूदयं दलिदगुरु रिदमध विदिकुमदरकयं ॥ नातं नम दिजोसदटनदवत्सलंन हदिनिदि गतिं सोददं निम्मलं ॥ ५ ॥ ॥ मागधी ॥
सुलसुल विसलनलनाय सेविवपदे नमिल जय जंतुतुदि दिन सिवपुलपदे ॥ चलन पुल निलद संसालिसलसीलुदे, देहि महसा मितंसालि सासदपदे ॥ ६ ॥ ॥ पैशाचिकं ॥
तलिता खिलतोसतया सतनं मदनानलनीलमनानगुणं ॥ नलिनारुणपाततलांनमते जिननो इधतं सशिवं जनते ॥ ७ ॥ ॥ चूलिका पैशाचिकं ॥ कलनाजिकनातुलत पहलं चलनीकल चालुयशप्प सर्ज ललनाचनकीत कुनंलु चिलं, चिनलावमहंसमला मिचिनं ॥ ८ ॥
॥ अपभ्रंश ॥
सास सुक्ख निहानाहन विद्यो जेहिं तवं पुन्नविहूनजाए निकल जम्मु तिह नरपसु ॥ ॥ निम्मल तुह मुहचंडजे पहुपिक्खुई पसरि सिउँ इय निरुवमश्राड ति ह मुनिसामी विष्फुरइ ॥ १० ॥
॥ वयं समसंस्कृतं ॥
हारिहार हरदासकुंद सुंदर देहानय केवलकमलाकेलिनिलय मंजुलगुलगलमय ॥ कमलारुणकरचरणचरणनरधरणधवल बल सिद्धिरम पिसंगम विलासलालसमलम वदन ॥ ११ ॥ नवनवदवजलवाह विमल मंगलकुल मंदिर वामकामकरिकेलिहर हरिवरगुणबंधुर || मंदर गिरीगुरुसारसबलक निनूरुहकुंजर देहिमहोदयमेव देव म म केवनिकुंजर ॥ १२ ॥ इति जगदनिनंदन जनहृदि चंदन चंप्रन जिनचंश्वर ॥ षड्नापानिष्टुत मम मंगलयुत सिद्धिसुखानि विनो वितर ॥ १३ ॥
इति श्रीजिनप्रनसूरिकृतचं प्रनस्वामिसक्तं पनापास्तवनं संपूर्णम् ॥
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