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________________ स्तोत्र. नियसमदंतयंति जयजय चंदप्पहवंदकंति ॥ ३ ॥ जय पण्यपालिगणकप्परु रक जय जगडिय पयमकसयपरक ॥ जय निम्मल केवलनाएगेह, जयजयजिलिं द पडिमदेह ॥ ४ ॥ २७० ॥ शौरसेनी ॥ foresees मोहारिके दूदयं दलिदगुरु रिदमध विदिकुमदरकयं ॥ नातं नम दिजोसदटनदवत्सलंन हदिनिदि गतिं सोददं निम्मलं ॥ ५ ॥ ॥ मागधी ॥ सुलसुल विसलनलनाय सेविवपदे नमिल जय जंतुतुदि दिन सिवपुलपदे ॥ चलन पुल निलद संसालिसलसीलुदे, देहि महसा मितंसालि सासदपदे ॥ ६ ॥ ॥ पैशाचिकं ॥ तलिता खिलतोसतया सतनं मदनानलनीलमनानगुणं ॥ नलिनारुणपाततलांनमते जिननो इधतं सशिवं जनते ॥ ७ ॥ ॥ चूलिका पैशाचिकं ॥ कलनाजिकनातुलत पहलं चलनीकल चालुयशप्प सर्ज ललनाचनकीत कुनंलु चिलं, चिनलावमहंसमला मिचिनं ॥ ८ ॥ ॥ अपभ्रंश ॥ सास सुक्ख निहानाहन विद्यो जेहिं तवं पुन्नविहूनजाए निकल जम्मु तिह नरपसु ॥ ॥ निम्मल तुह मुहचंडजे पहुपिक्खुई पसरि सिउँ इय निरुवमश्राड ति ह मुनिसामी विष्फुरइ ॥ १० ॥ ॥ वयं समसंस्कृतं ॥ हारिहार हरदासकुंद सुंदर देहानय केवलकमलाकेलिनिलय मंजुलगुलगलमय ॥ कमलारुणकरचरणचरणनरधरणधवल बल सिद्धिरम पिसंगम विलासलालसमलम वदन ॥ ११ ॥ नवनवदवजलवाह विमल मंगलकुल मंदिर वामकामकरिकेलिहर हरिवरगुणबंधुर || मंदर गिरीगुरुसारसबलक निनूरुहकुंजर देहिमहोदयमेव देव म म केवनिकुंजर ॥ १२ ॥ इति जगदनिनंदन जनहृदि चंदन चंप्रन जिनचंश्वर ॥ षड्नापानिष्टुत मम मंगलयुत सिद्धिसुखानि विनो वितर ॥ १३ ॥ इति श्रीजिनप्रनसूरिकृतचं प्रनस्वामिसक्तं पनापास्तवनं संपूर्णम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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