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________________ शृंगारवैराग्यतरंगिणी. १२१ नू एटले भूमि थायडे, एम कयुं; तेमां खावी रीते श्लेष वे:- सा एटले प्रसिद्ध, धुतरा एटले रेफरहित एवो, चू शब्द भूमिवाचक शब्द थयो ते योग्य बे. य या वृत्तमां, स्त्रीनी जे शोभायमान चुकुटि, तेने शृंगार रसना पात्ररूपे कही बे, केमके, एने जोतांज पुरुषने मोह उत्पन्न थायले, माटे ए शृंगार रस बे; ने ए चुकुटि नथी पण मोहरूप विपना वृहने उत्पन्न करनारी सारी भूमि बे, एम कवाथ वैराग्य रस जाणवो. ॥ ६ ॥ मालिनीवृत्तम् ॥ नवकुवलयदामश्यामलान् दृष्टिपातान् कृत परमदनाशान् विचिपत्यायताही ॥ इति वदसि मुदं किं मोद राजप्रयुक्तान् प्रशमनटवधार्थं विद्यमनृष्टिपातान् ॥ ७ ॥ अर्थ :- हे पुरुष, विस्तीर्ण नेत्रोवाली स्त्रीना कुंवलयनी माला जेवा श्यामव वाला, अन्यमदना नाश करनारा जे कटाक्ष, ते मारा उपर नाखेडे, एम जाणीने तूं शासारु हर्षित थायबे ? अरे, ए जे दृष्टिपात ( कटाक्ष ) बे ते प्रशम रूप शूरवी रनो वध करवा सारु मोह राजाए प्रेरणा करेला कष्टिपात एटले तलवारना पात (घा) बे; एम जाए; ही दृष्टिपातनो इष्टिपात यावी रीते थयो बे:- दृष्टिपात शब्दनुं विशेषण मूलमां " कृतपरमदनाशान् "बे; एनो श्लेष करी यावो अर्थ थाय बे:- कृत एटले कस्यो, परम एटले प्रत्यंत, दनाश एटले दकारनो नाश थयाथी ऋष्टिपात शब्द थाय बे ते योग्य बे. या वृत्तमां, विस्तीर्ण नेत्रोवाली स्त्री कही बे, एथी स्त्रीना विशाल नेत्रोने कवीखो ए उत्तम कह्या बे, एम जाणवुं, एवा विशाल नेत्रोना जे कटाक्ष, ते कुवलयनी माला जेवा, ने अन्य मदना नाश करनारा कह्या बे; एटले जे पुरुष नपर कु वलयनी मालाना जेवा कटाक्ष पमे ते पुरुष बीजा गमे तेवा मदवालो होय तो पण तरत ते स्त्रीनी उपर मोहित थईने तेना किंकर जेवो थई रहेबे, खाने ते पोतानी उपर स्त्रीना कटा पडया जोइने प्रति आनंदित थायले, माटे ए शृंगा रस बे; खने एवो जुब्ध एलो पुरुष मोहरूप राजाने वश थयो थको दुःखी थायडे; केमके, नेत्रकटारूप तलवारना घाएकरी तेना प्रशमरूप शूरवीरपणानो वध थायले. तेनो तुं त्याग कर, ए वैराग्य रस बे ॥ ७ ॥ शार्दूलविक्रीडितं वृत्तम् ॥ तस्याः कोपपदं यदाननमढोरा त्रं स्मरन्नात्मनः संतापं वितनोषि काननमही झाला स Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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