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________________ २१२ सम्यक्त सडसम्बोल सकाय. ॥ श्री जिनाय नमः ॥ अथ श्रीयशोविजयजी उपाध्यायकृत सम्यक्तना सडसव बोलनी सजाय प्रारंभः ॥ ॥ ॥ दोहा ॥ सठ बोलनी । कहि I सुकृत वल्लिकादंबिनी । समरी सरसति मात ॥ समकित सड मधुरी वात ॥ १ ॥ समकित दायक गुरुतणो । पच्नुवयार न थाय ॥ नव कोडाकोडे करी । करतां सर्व उपाय ॥ २ ॥ दानादिक किरिया न दिये । समकित वि शिवशर्म ॥ तेमाटे समकित वडूं । जाणो प्रवचन मर्म ॥३॥ दर्शन मोह विनाशथी । जे निर्मल गुणगण || ते निश्चय समकित कह्यो । तेहना एहि ॥ ४ ॥ ॥ ढाल || देइ देइ दरसण आपणू, एदेशी ॥ ॥ चन सद्दहणा तिलिंग बे | दशविध विनय विचारोरे ॥ त्रि बुद्धि पण दूषण | खाव प्रजाविक धारोरे ॥ ५॥ चटक ॥ प्रनाविक प्रड पंच नूषण । पंच लक्षण जाणियें ॥ षट् जय पद् यागार नावन | विदा मन थापियें ॥ ५ ॥ षट वाल समकित तणा सडसव | नेद एह उदार ए ॥ एहनो तत्व विचार करतां । लहीजे नवपार ए ॥ ६ ॥ ढाल ॥ चदु विह सदहा तिहां । जीवादिक परमबोरे ॥ प्रवचनमां जे जाषिया । लीजे ते airat ॥ ७ ॥ e ॥ तेहनो अर्थ विचार करिये । प्रथम सहा खरी ॥ बीजी सहणा तेहना जे | जाए मुनिगुण जवहरी || संवेग रंग तरंग कीजे । मार्ग शुद्ध कहे बुधा || तेहनी सेवा कीजिये जिम । पीजिये समता सुधा ॥ ८ ॥ ढाल ॥ सम केत जेणे ही वमिकं । निन्हव ने बंदारे || पासबाने कुशीलिया ते । वेष विमंबक मंदारे ॥ ए ॥ त्रूटक ॥ मंदा खनाणी दूर ढंको । त्रीजी सणा ग्रही ॥ परद शनीनो संग तजिये । चोथी सहहणा कही || हीणातलो जे संग न तजे । तेनो गुण नवि रहे || ज्यूं जलधि जनमां नयूं गंगा | नीर जूपणू लहे ॥ १०॥ || ढाल || कपूर होवे प्रति कजलूं रे; एदेशी ॥ ॥ त्रण लिंग समकित तपारे । पहिलो श्रुत निलाष ॥ जेहथि श्रोता रस लहेरे । जेवो साकर खरे। प्राणी, धरियें समकित रंग । जिम लहिये सुख अनंग रे । प्राणी, टेक ॥ ११ ॥ तरुण सुखी स्त्री परिवखोरे चतुर सुणे सुरगीत || तेहथि रागे प्रति घणो रे । धर्म सुल्यानी री तरे । प्राणी० ॥ १२ ॥ नूख्यो घटवी तस्यो रे । जिम द्विज घेवर चंग || बे तिम जे धर्मने रे । तेहिज बीजूं लिंग रे । प्राणी० ॥ १३ ॥ वैयावच्च गुरु देवनूंं 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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