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________________ आस्तिक नास्तिक संवाद. ११ उपर दृष्टांत कहूँ . जेम कोई मोटी हवेलीमा बालक मूतस्यो होय ते शुरू करवा ने जेटली नूमि बगमी होय तेटलीज धोवी जाइये. तेम शरीररूप हवेली कर्मे करी मलीन थई होय तेटलीज तपसायें करी शुरू करवी. पण आखा शरीरने स्नान, मऊन, स्वज वस्त्रादिक, तथा सुगंध्यादिक करवानु कांई काम नथी; स्नान तो सोल शृंगारमांनो प्रथम शृंगार .ते सर्व शृंगारनो त्याग करे त्यारे ब्रह्मचारी कहेवाय. कर्म निर्जराने अर्थे मुनिने ब्रह्मचर्य व्रत पालवो कह्यो तेथी पण स्नान करवू नही एवं सिह थाय . ६५ नास्तिकः-यह उनिया सब खुदाने पैदा करी है. आस्तिकः-यह ऽनिया सब खुदाकी करी होवै तो जो खुदाका बंदा हरवखत खुदाकी बंदगी करै, कुरान बांचे, नमाज करे, औ रोजा रखै, तिसीकू उनीयांकी नियामते जैसेकी आल औलाद श्रौ पैसा वगैरा मिलना चाहिये; औ हिंऽ व गैरा सब फकीरके माफक होना चाहिये. तैसे तो नही होता है. दूसरे नी थ बी सल्तीनत वाले आंखोके सामने मौजूद है. इस वास्ते ये बात रास्त नही है जो होवै है सो सब तकदीरसे होवै है. ६६ नास्तिकः-या संसार रामे उत्पन्न कस्यो बे. __ आस्तिकः- जो था जगत रामनु उपजावेखं होय. तो जेथो हमेश रामनीन क्ति करे. पुराण वांचेले. वंदना करे. तथा एकादशी आदिक व्रत राखे तेश्रोने सर्व व्यादिक संपत्ति मलवी जोये. बीजायोने विपत्ति होवी जोये. ते म तो दोगामां आवतुं नथी. बीजा मुसलमानादिक पण महा संपत्तिवान दीठा मां आवे ने तेथी बधुं कर्माधीन बे. __६७ नास्तिकः- अंगदान ( कन्यादान ) दीधाथी पुण्य थाय ने. केमके. स्त्रीपु रुष हलीमली मैथुन क्रियाना सुरखने पामे ले. तेनुं फल दानदेनाराने थायले. ___ आस्तिकः-नाई, तारा जेवो पूर्वपदी तो एके मल्यो नथी. तें तो आडो आंक वाल्यो. पण नाई, मैथुन किया तो सर्व थकी अगु६ : यवन लोको पण इमाम ना दशरानी क्रिया करे: त्यारे मैथुन सेव्याना वस्त्र पहेरीने करता नथी केमके ते वस्त्रने तेश्रो नापाक कहे. तेमज हिंड्यो देवपूजामां, व्रतने दिवशे तथा तीर्थयात्रामा मैथुननो त्याग करे. जे मुमुख (मुक्तिनी ना करतो होय) तेणे प्रथम मैथुननो त्याग करवो. ए कृत्य नरकनो हेतु दोवाथी सर्वथा निंदनीक ले. इति श्री बास्तिक नास्तिकनो संवाद संक्षिप्त रूपें समाप्तः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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