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आस्तिक नास्तिक संवाद.
स्ते कोई बीजा प्राणीए तमने मार, पण नालायक नथी ; लायकज बे. माटे जेम वाघ वगैरे प्राणीयो जीव घातक होवाथी मारवा योग्य ले. तेम तमे पण जी व घातक होवाथी मारवा योग्य बो. एम तमारे कबूल करवू जोशे. जो कबूल नही करशो, तो खुदाना गुनेहगार ठरशो माटे हे महामदीयन मुसलमीनो वगैरे, जीव मारवामां खुदानोदुकम होयज नही. जो एम होय तो खुदा रहम विनानो ठ रे. खुदा तो रहमदिल डे, एवं तमारा रसूलिलाए कुरानेशरीफमां फरमाव्यु : तेने बाध आवशे. ए नपरथी एबुं जणाय ने के, कोई एक पुरुषने कोई कारणने ली धे अचानक मांसनो आहार मली गयाथी, तेने तेनो स्वाद लागो तेथी, व्यसन पड़ी गयुं, ने पनी लोकापवादसारु खुदाए फरमाव्यु , एम कहीने बचारा खुदाने हिंसक ठेरव्यो जणाय छे. तेमां केटलो गुनाह ! एनो विचारतो करो! ते प्राणीप्रोने मार वाने खुदा फरमावे त्यारे बीजी अन्नादिक वस्तुओ पेदा शावास्ते करे ? ए नपरथी साफ जणायचे के, अन्नादिक वस्तु खावायोग्य , पण मांस खावायोग्य नथी. ते म बतां जे जीनना स्वादने अर्थ खायचे ते रादसतुव्य जाणवा.
वली मुसलमीन प्रमुखने बीजुं युक्तिथी समजावे ले के, तमारा किताबोमां श्रा बने पाक वस्तु कहीने, अने पिशाबने नापाक वग्नु कहीने, पाक वस्तुथी जे पे दाश थायले, ते पाक कहेवायडे,अने नापाक वस्तुथी जे पेदाश थाय ते नापाक कहेवायचे. जेम के, अन्न वगैरे पदार्थों जे पाणी थी पेदा थायले, ते पाक थने पिशाबथी जे कीटकादिक पेदा थायडे, ते नापाक ले. एवं तमे पण मानो बो. परंतु तेम चालता नथी. केमके मांसाहार करो बो. जुधोके प्राणिमात्र पिशाबनी पेदाश ले. ते पिशाब ज्यारे नापाक त्यारे तेथी पेदा थयेला प्राणीयो केम पाक होय! ते ओना मांसने तमे पाक मानो हो, ए केटली बेवकूफी वारु ! जो मांसने पाक मा नशो तो पिशाबने नापाक कहेवाशे नही; ने जो पिशाबने नापाक मानो तो मांस ने पाक मानशे नही. जे, कारण तेवो कार्य एवो मुनीयामां नियम ले. ज्यारे पि शाब जेवो मांस बे, त्यारे तेनो थाहार कस्याथी दोजकमां गयाविना केम रहेशो! एनो पाको विचार करीने मांस नहाण मूकी द्यो; अने पाक पाणीनी पेदाश अन्न फल, तथा फूल वगैरे अनेक स्वादिष्ट पदार्थोनो याहार करोने ! परंतु तमे मानशो नही. केमके एतो जन्मनी आदत पडीगई ले. कयुं के, तहाड जाए रुए ने बाद त जाय मुए; तेम तमारी थादत हमणा जनार नथी; पण याद राखजो के किया मतने दहाडे जबाब देवो पडशे त्यारे अांखो, फाटीने पडोला थशे हो !
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