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आस्तिक नास्तिक संवाद.
२०५ ___५४ नास्तिकः- आदमी मरगये बाद जीकू फिरस्त लेजाते हैं ये बात तो सच है की नही ? __ आस्तिकः- इस बातर्फे कौन फूठ कहता है ? लेकीन समजमें कुल फरक है. तुम कहेते हो की कोयामततक जीकू एक ठिकाने में रखते हैं, पीछे खुदाके पाश ने जाके इन्साफ करवाते हैं; ऐसे नही दोवै है. लेकीन नसीवरस्त जी अपनी त गदीरके लिये अजा या बुरा फल पावता है. तुमनी सुरव, फुःख, नेहेस्त श्री दोज क तो मानते हो ! सो जैसी जीने करनी करी होवै तेसी गति उसकु मलती है. ___ ५५ नास्तिकः- अनादुतालाने असे फरमाया है की जो किसीकू इजा देता है सो मारने लायक है. __आस्तिकः- कबू माबाप बोकरेकू इजा देते हैं, या कबु बोकरा माबापकू जा देता है; कबू पोर मुर्बिदकू इजा देता है, श्री कबू मुर्षिद पीरइजा देता है; कबू नौकर खाविंदकू इजा देता है, कबू खाविंद नोकरकू इजा देताहै; ऐसे खुदाकी खलकतमें जहांत के जी हैं, वे सब इजा देनेवाले होनेते जो सब मारने लायक हो वै तो खैर महिर कैसे रहेगी ! औ रहम करने लायक कोई भी नही रहेगां और इमामोकू जब काफरोने जा दी, तब तिनोकू कायके वास्ते इमामोने मारे नही इस वास्ते जो हो है सो तगदिरसें होवे एसे जानना चाहिये.
५६ नास्तिकः-मांसाबाहारी पापिष्ट कहे . या ऊनीयामां जलचर, स्थलचर, तथा खेचर प्रमुख जे नाना प्रकारना जीव , तेयोने वेशक मारी नाखवा, थने तेथोनुं मांस नक्षण कर. एम अमने साहेबे फरमाव्यं ने, ते प्रमाणे करवामां गुं गुनाह तथा पाप ?
आस्तिकः-तमारा कह्या प्रमाणे जीवने मारवं ए खुदानो दुकम ले, ते कोई ए फेरववो जोये नही. जो फेरवीए तो गुनेहगार तरीए, एम सिह थायले ; त्यारे | कोई वाघ अथवा सिंह प्रमुख मनुष्यनो थाहार करनार जीव, तमने मारवा था वेडे, तेथी मरीने तमे केम नाशी जायोडो? थने ते प्राणीने नाना प्रकारना ह थीपार वगैरेनी सहायता व केम मारवा तैयार थायोडो? घने जो ते जीव तमारा दावमां श्रावी जाए तो केम मारीनारखो बो? जेम खुदाए तमने जीव मा रवाने फरमाव्यु ले तेम तेश्रोने पण मनुष्य मारवाने फरमाव्यु ! ते प्रमाणे तेश्रो पोतानुं कृत्य करेले; तेथोने मार लायक नथी. जो तेथोने मारवार्नु त मने लायक दीशतुं होय, तो जे जीवोने तमे मारोबो, तेश्रोए अथवा तेथोने वा
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