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आस्तिक नास्तिक संवाद. आम्तिकः-लोक मर्यादा लोपवी नही ए नीति के तेनो लोप करवो नही. जे कार्यनी जगत निंदा करे ते कार्य करवो नही एवं श्रेष्टोनुं वचन ले तेनो पण लोप करवो नही. तेथीज समदृष्टि पण तेवु आचरण करे पण मनयकी स म दृष्टिने का नथी. ५१ नास्तिकः- सर्व कार्यनो कर्ता ईश्वर , एम मानवु जोये के नही ?
आस्तिकः- एम मानवू नही जोये. ए वचन प्रलाप जे. ईश्वरविषे कर्तत्व होयज नही. घट, पट, कृषि, संग्राम, खान, पान, दान, मान, स्नान, तप क्रिया, विनय तथा व्यावच इत्यादिक सर्व पदार्थोनां कारण काल, स्वनाव, नि यत, पूर्वकत कर्म, तथा पराक्रम ए पांच ले. जेम के, तंतुना पुंजमाथी पटनी न त्पत्ति थवानो जे समय ते काल समजवो; तंतुना पुंजने पटनी उत्पत्ति करवानीजे योग्यता ते स्वनाव जाणवो: तंतुना पुंजमांथी पटनी उत्पत्तिन जे निमित्त थ, ते पूर्व कर्म समजवू, अने तंतुना पुंजमाथी पटनी उत्पत्ति करवानो जे उद्यम करवो ते पराक्रम जाणवो: ए पांचमाथी एक प्रो होय तो वस्तुनी नत्पत्ति थई शके नही. ए पांचनां समुदायथी घटपटादिक सर्व कार्योनी नुत्पत्ति थाय: एगु६ मत जाण. __५१ नास्तिकः- जो कुन होता है, सो अनादुतालाके दुकमसें होता है; और किसीका किया कुन होता नही: यही बात रास्त है. __ आस्तिकः- जो ऐसे होवै, तो अल्लादुतालाने पैदा किये हुये, इमामे हसन
औ दुसन, काफिरोंके हातसें कैसे मारे गये ? वे तो खुदाके प्यारे बंदे थे, तिनकू काफिरोने मारे, ये बड़ी अजायबकी बात है. तिनकू बचानेके वास्ते खुदा ना कौवत था ? इमाम किसीके गुनेहगारनी नही थे; वे क्यं मारे गये ? इसवास्ते जो होता है, सो तकदीरसें होता है. जो जैसा करता है, सो तैसा पावता है, तामें अनाहुतालाका कुब वास्ता नहीं है. यही बात रास्त है. ___५३ नास्तिकः- अनाहुतालाने इमामेंका दिल देखनेके वास्ते आजाब दियाथा.
शास्तिकः- आजाब दिये शिवाय तिनोंके दिलकी वात खुदा नही जाणता था! जो कहोगे की नही जाणताथा, तो खुदामें खुदापना क्या रहा ! खुदा तो सब जानता है, ऐसे तुमारे कुरानेशरीफमें कहा है. एसे होके नो इमामोंकू मारनेकी दयानत जो काफरोने करीथी सो खुदा जानके नी कैसे चुप रहा ! सवास्ते ये बात नी गलत है.
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