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________________ रएन आस्तिक नास्तिक संवाद. कापेले पण तेने अग्नि कोई वखते पण दीवामां आवती नथी. ने ते अग्रिनुं र हेवार्नु ठेकाणुं पण दीनामां श्रावतुं नथी तेम जाणी लेवू. राजाः-मने प्रत्यक्ष जीव देखामी आपो के जेथी हूँ जीवने जाएं. गुरुः-तमे बादर वायु कायना जीवने जोई शकशो के ? तेने पण जोई शक शो नही तो जे अरूपी जीव ने तेने केम जोई शकशो? राजाः-हाथीमां अने कीमीमां जीव केम सरखो होय ले ? गुरुः-हाथीनुं तथा कीमोन शरीर महोटुं नानुं , पण जीवमां अधिक न्यून ता नथी जीव बन्नेमां सरखो ने. - राजा:-लोकमां जीव अने जड एक क्षेत्र अवगाही निरंतरपणे निराबाध केम रह्या ? ___ गुरुः-जेम धनी नरेली कडाईमां साकर. एलची, अने केशर नारखी होय ते केम समाई जाय ले ? दूधशुक्षां चारे वस्तु एक क्षेत्र अवगाही निरंतरपणे केम रहे ले ? एकज ठेकाणे चारे वस्तु अनिन्न नावे रहेली जे. एना वर्ण, गंध, रस, फरश निरंतर निराबाधपणे ः तेम जीव अने जड जगतमां निरंतर एक देत्र अवगाही निराबाधपणे रह्या ले. ३५ नास्तिकः- सर्व लोकमां जीव नरपूर ने त्यारे देखाता केम नथी ? आस्तिकः- जेम सूक्ष्म जीव सर्वत्र पूर्ण ले. ते ज्यारे दिवशे तडको पडे त्यारे घरमांना कोई विक्षारायें थोडोएक तडको घरमां आवे जे. ते तडका तरफ जोतां केटला एक परमाणु जेवा दीवामां आवे , ते बधा सूक्ष्म जीवो ले. ते बायमा मां तडको आवे त्यारे उडता देखाय जे, बीजी रीते देखाता नथी. तेम जीव अ ने जड सर्व लोकमां नरपूर उतां बद्मस्थने देखाय नही; किंतु केवल ज्ञानरूप ा तपना योगे देखायडे. अर्थात् केवल ज्ञानीज जाणी शकेले. ३६ नास्तिकः- चं, सूर्य, बाया, यातप, माता, पिता, स्वर्ग, नरक, जीव, जड, घट, पट, स्तंन, तथा कुंन प्रमुख सर्व चममात्र ; वस्तुरूप कंईजनयी. ___ आस्तिकः- जेम अंधकारमा आकाशनेविषे कोई पुरुष चाल्यो जाय, ते निरा बाधपणे जई शके जे; पण वचमां जो निंत आवीजाय तो आगल चलातुं नथी ने ते कार्यमां अपराबाधक थायजे. ए प्रत्यक्ष व्रम के सत्यले ? तथा कोई कोईने मारे, कूटे, दान दिये, ए वस्तु गत्ये सत्यजे: असत्य अने नमजाल तो स्वप्न अने संकल्पने कहिये. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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