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आस्तिक नास्तिक संवाद.
केटलाक काल पड़ी उघाडी जोयुं, तो तेमां अनेक क्रम पडेला देखायां. ते बिह विना क्याथी आव्यां ? ___ गुरु.- अग्निमां लोहनो गोलो नारख्यो होय तेमां निविना अग्नि केम प्रवेश करे! जे वस्तु अनिमां नाखीए तेमां बिइ नहोय, तो पण अनि प्रवेश करे . तेम जीवनो प्रवेश थवामां निश्चें कांई काम नथी.
राजाः- एक चोरने में ते जीवतो हतो त्यारे तोड्यो, अने मरी गया पनी पण तोल्यो: त्यारे जीव नीकली गयो बतां नारमा कांई फेर पड्यो नही. तेनुं शु कारण होवु जोये? __ गुरुः- जेम खाली मशक तथा पवनथी नरेली मशक तोली जोतां वजनमां फेरफार थतो नथी. तेम जीव वायुरूप होवाथी ते शरीरमांथी नीकली गया प बीकांइ तोलमा फेर पडतो नथी. ___ राजा:- बालक अने यौवनना शरीरमा फेर ले पण जीवमा कांई फेर नथी. बन्ने वाणी सरखी बोले में ने तेनुं शब्द पणे कानमां सरखी रीते स्वर जाय ; तेम बतां उपयोग सरखो केम थतो नथी? युवान जे किया करी शके ते बाल कथी थती नथी तेनुं कारण गुं ते कहो.
गुरुः- जेम जूनुं धनुष्य होय तेथी बाणनो उपयोग जुदी रीते थाय ने न बुं धनुष्य होय तो तेथी बाणनो नपयोग जुदी रीते थाय : धनुष्यमा फेर होवा थी बागनी क्रियामां फेर पडे बे. तेम बालक अने युवानना शरीरमा फेर होवा थी जीवनी क्रिया सरखी थाय नही. एटले बल वीर्य प्रमुखमां पण फेर फारथाय .
राजा:-युवान अने वृक्ष माणशना शरीरमा जीव सरखो बतां युवाननी पते १६ केम नार उपाडी शकतो नथी?
गुरुः-जेम कावडवडे जार नपाडनारो पुरुष सारी नवी कावड होय तो वधा रे नार उपामी शके डे, ने जूनी कावड होय तो कांईक थोडो नार नपाडी शके ने. तेम जीव तो तेज पण युवान शरीरं होय तो वधारे नार नपामी शके, ने वृक्ष शरीर थाय तो थोमो नार नपाडी शके .
राजाः-एक चोरने मारीने तेना अनेक खंड कीधां, पण जीव तथा जीवना रहेवानुं वेकाएं दीवामां आव्युं नही; माटे जीव कोई बेज नही.... । गुरुः-जेम काष्टमां अग्नि रही जे, तेम शरीरमांजीव रह्यो डे, ते देखाय केम ? जो काष्टमां अग्नि देखाय तो शरीरमां जीव देखाय. काठीयारो हमेश लाकमा
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