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________________ १६ आस्तिक नास्तिक संवाद. गे बीजा नवनुं स्मरण पण थतुं नथी. ए विषयने मलती प्रदेश राजा अने के शी गुरुगी प्रमोत्तररूप चर्चा डे ते कडं बुं. प्रदेशी राजा:- मारो अधर्मी दादो नरकमां गयो जे, ते तमारा मतप्रमाणे त्यांथी श्रावीने मने अधर्म करतो वारे त्यारे हुँ मानु, के वात साची. __केशी गुरुः- तारी स्त्रीनी साथे कोई पुरुषने कामनोग करतो तने दीवामां आ वे, ने ते तारा हाथमां पाव्या पनी ते तारी वीनती करे के, मने थोडीक वार रजा आपो, तो ढुं मारा कुटंबने कही आईं के, कामनोग कस्याथी बावु ःख थाय ने तो ते वात कबूल करीने तेने तूं रजा आपीश ? राजाः- ना तेने एक क्षण पण बुटो मूकुं नही. ___ गुरुः- तेमज तारो दोदो पण पापसंची, गुनेहगार थई, नरकमां गया पनी, परमाधामी तेने केम मूके ? तेथी ते आवी शके नही. राजाः- मारी दादी स्वेबाचारी थई, जैनधर्मने अंगीकार करीने स्वर्गे गई, ते पाबी केम कहेवा आवी नही; ने आवे तो तेने झुं हरकत ले ? ___ गुरुः- कोई पुरुष स्नानकरी, कुशुम तथा धूप प्रमुख लई देवनी पूजा करवा जेतो होय, तेने कोई चांमाल संमाशमां जवाने कहे तो ते त्यां जाय के ? एवी क दी इबा पण करे ? राजाः-ना ते एवा खराब स्थले केम जाय ? कदी पण जाय नही. ___ गुरुः- तेम तारी दादी स्वर्गलोकमां गई , ते सेतखाना तुल्य था मनुष्य लो कमां केम आवे! या लोकमां आववानी ला पण थाय नही. राजाः- एक चोरे चोरी करी, तेनो इन्साफ करीने तेने लोहानी कोठीमां घा ली दीधो. तेनुं मुख बंध करीने उपर सारी रीते कलई करावी. तेमां पवन पण प्रवेश करी शके नही एबुं कयुं. पली ते चोर कोठीमां मरी गयो. तेनो जीव ते कोठीना क्या रस्तेथी नोकली गयो ? तेमां तो कोई बिश् दीवामां आव्यो नही. हवे जीव ते केम मनाय ? ___ गुरुः- मोटी शालामा एक पुरुषने नेरी सहित घालीने तेने चोतरफ बंध क री लीधी होय, तेमां ते नेरी वगाड्याथी तेनो अवाज बाहार शंनलाय . ते वि इविना बाहार केम आवे ? तेम जीव पण विविना बाहार निकली जाय . राजा:- एक चोरना कटका करी एक कुंजमा में नरी राख्याहता. तेनुं महोडुन परथी सारी रीते बांधी जी, हतुं, के जेमां पवन पण प्रवेश करी शके नही. ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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