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आस्तिक नास्तिक संवाद.
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होय , पण जीवपणुं नवं होतुं नथी. जीव समय समय प्रत्ये जो नवो थ तो होय, तो बालपणनी वात यौवनावस्थामां शांजलवी न जोये. तथा गत सम यतुं शांजलेलु, दीतेनुं, जोगवेलु, लीधेलु, तथा दीधेनुं प्रमुख काई पण स्मरणमा याव्युं न जोये. तेनी स्मृति तो थाय ले. तेथी जीव तेहिज . जो जीव नवो थतो होय तो एक जीवनुं करेलु कार्य बीजो जीव केम जाणी शके ? ए तो प्रसिद वात जे. तेथी जीव इव्य सदा सर डे; एमां कोई काले पण फेर पडतो नथी, एम जाणवू.
ए नास्तिकः- जीव जे नाना प्रकारनां कर्मो करे ले, तेयोनो करावनार ईश्वर जे. ईश्वरनी प्रेरणा विना जीव थकी कर्म थाय नही, एम जाणवू.
आस्तिकः- जो जीवने कर्म ईश्वर करावतो होय, तो कर्मनो कर्त्ताज ईश्वर ठरशे: केमके जे कीयानो प्रेरक होय , तेज कर्ता होय . जो ईश्वर कर्त्ता तेरा वगुं तो जे कर्ता होय , तेज नोक्ता होय जे. ए रीतथी ईश्वरने नोक्तापणुं पण
आवशे. नोक्ता ईश्वर थयाथी पापपुण्य ईश्वरनेज लागे , एम मानवू पडशे. जेम कोई पुरुष पोताना हाथमां खड्ग लईने बीजाने मारे. तेनु पाप खडगने लागतुं नथी, पण ते खडगना मारनारने लागे . तेम पुरुषे कीधेनुं पाप पण ईश्वरने लागनार ले. कर्मनो करनार तो खडगना जेवो ; तेने कर्म लागवा न जोईए. तेथी कर्म ईश्वरने लागे जे एम सिह थयु. एम माननारने एटलुंज पूब जोये के, कर्मनो कर्त्ता तुं नथी, तेम कर्मनो नोक्ता पण तूं नथी; कर्ता जोक्ता ईश्वर ले. त्यारे सर्व मनुष्यो पोतपोताना मत प्रमाणे क्रिया करवानी बुद्धि केम करे ? मद्य मांशनो त्याग, अने स्नान, संध्या, स्त्रोत्र, तप, जप, वगैरे शासारु करे ? पोताने कोई पाप प्रमुख लाग्युंहोय तो तेनुं निवारण शासारु करे ? अकार्य शासा रु करता नथी ? पाप थकी शासाकै बीह ! कत्तों शो नोक्ता एम शासारूं कहे ? पोते करे ले, ते जोगवे बे; तेम बतां वली कहे जे के हे प्रनु, मारां पाप टालो. प || एम नथी कहेतो के प्रनु तमारां पाप टालो. जे चोरी करे तेने दंड थाय ने जे बेद करे तेनां प्राण जाय. अने हिंसा करे ते अवश्य नरक गामी थाय. वगैरे ए सर्व व्यर्थ मानवा जोशे. माटे कर्ता जीव ने ईश्वर नथी एम मानवु जोये.
३० नास्तिकः- अमे मान्य करेलु ईश्वर सर्वक के एम जाणवू. अने शास्त्रोमां पण “सर्वज्ञो ईश्वर.” एवां घणां वाक्यो दीवामां आवे जे; माटे ईश्वर बधुं जाणे .
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