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आस्तिक नास्तिक संवाद.
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ई जीवने एक खंडमां शरीर मूकीने बीजा खममां बीजं शरीर धारण करवू पमे. तो एटलो दूर जतां तेने केटलो वखत लागतो हो ! अने कोई जीवने एक श रीर मूकी तरत तेज गाममां उपज होय, तेने काई दूर जवु पडतुं नथी, तेथी कांई वधारे वरखत लागतो नही दशे, पण जेने दूर जवू पडतुं हशे तेने रस्तामां चालता वधारे करवत लागतो दशे नी! __ आस्तिकः- नजीक अथवा दूर नवांतर करवामां वधारे वखत लागतो नथी; सरखोज वखत लागे जे. जेम घाणी, रहेंटीयो अथवा बार| इत्यादिक ज्यारे फरे ले, त्यारे तेश्रोना माहेला तथा बाहेरना नागने फरतां सरखोज वखत लागे बे. यद्यपि अंदरनो देत्र थोडो होय डे, ने बाहेरनो घणो होय ; तथापि फरतां वरखतमां वधघट थती तथी. वली जेम दीपकने शलगावीए ते काणमांज प्रकाश करे. वचमां कोई अंतर पडतो नथी: तेम जे वरखते एक नव मूके के लागलोज बीजो नव पामे ; तेमां लगार पण अवकाश रहेतो नथी. ते नव पड़ी दूर देश धारण करवो होय, के नजीक देशमां धारण करवो होय, गमे त्यां नव धारण कर मांवामां वखतनो वार फेर थतो नथी. २५ नास्तिकः-जीवने कर्म केवी रीते लागे जे.
आस्तिकः-आत्माना गुनागुन परिणामथी जीवने कर्म लागे जे. जो शुन परिणाम होय, तो सारा कर्म लागे जे; अने अगुन परिणाम होय, तो नरशां कर्म लागे बे. अने तेनां फल पण तेवां थाय ने. कर्मने कांई झान नथी, जे आ जीवे पाप कस्युं माटे हुँ एने पापरूप कर्म थई लागुं. . २६ नास्तिकः-कर्म तो जड बे. तेथी तेश्रोमां ज्ञान शक्ति नथी त्यारे जीवे नर शां अथवा सारां की कस्याथी पाप अथवा पुण्यरूप परिणाम केम थाय बे ? ए परिणाम तो छानविना थाय नही. तेथी एवं जणाय जे के कर्म लागवामां ईश्वर हेतु ले. कर्म करवापणुं जीवने ; ने तेनुं फल देवु ईश्वरने बे. - आस्तिकः-कर्म लागवामां ईश्वरनुं कांई काम नथी. कर्मोनो एवो स्वनावज ले के परिणामने पामवं. जेम कोई पुरुष विषमिश्रित नोजन करे, ते मरण पामे ने मरवु ए विषनो परिणाम : पण विष जम पदार्थ होवाथी तेने एवं झान नथी के मने जे खाय , ते मरीजायजे: तेम बतां तेथी तेवो परिणाम थायडे के नही! वली जेम कोई पुरुष मिष्टान्न नोजन करे, तेथी पुष्ट थाय ले पण ते नोजन एम नथी जाणतुं के, माराथकी आ शरीरनी पुष्ठी थाय . तेम बतां तेनो परिणाम
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