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________________ १४ अनुक्रमणिका. Traष्ट अध्यात्मनी प्राप्ति यवानां कारणो निश्चय व्यवहार न या वाद सहित मध्यस्थपणे प्रमाण वादीनुं मत लावी उत्कृष्ट अध्यात्मनी प्राप्ति दर्शावीबे केवली कवलाहार अवश्य करे एवी स्थापना युक्तिपूर्वक सि सैलिये बतावी बे केवल कवलाहार करता बता कृतकृत्यज बे ३०२ ३२१ षट्कारकनुं स्वरूप .. सिद्धना पन्नर नेद ३३२ .. ३३२ स्त्रीलिंगे सिद्धता दिगम्बरीच नथी मानता तेने दूषण ग्रंथनुं परम रहस्य ३३३ ३ ३७ ५० श्री समयसार नाटक नामाख्य ग्रंथनी स्थूल विषयानुक्रमणिका. ३४५ श्री पार्श्वनाथ, सिद्ध भगवान, साधु, घने सम्यकदृष्टीनी स्तुति, मिथ्यादृष्टि वर्णन, मंगलाचरण, श्रात्मइव्य वर्णन, ग्रंथगी रवता, कवीनुं साम्यर्थ, ग्रंथ महिमा, अनुभव लक्षण, तथा महिमा, षड्व्य नव तत्व वर्णन, नाम माला, या ग्रंथमां क देवा लायक द्वादशानां नाम; ग्रंथारंजनो मंगलाचरणरूप नमस्कार, श्रात्म वर्णन, भगवाननी वाणीने नमस्कार १ जीवधार वर्णन २ अजीव द्वार अधिकार ३ करता क्रिया कर्मनो द्वार ४ पुन्य पाप एकत्वी कथन चतुर्थ द्वार ५ अध्यात्मना अधिकार सहित श्राश्रव द्वार ६ संवर द्वार ७ निर्झरा द्वार ८ बंध तत्वना धारना प्रबंधनो अधिकार मोक्षदार १० सर्व विशुद्धिद्वार.. ११ स्याद्वादनामा हारनी अंतर्गत ग्रंथमहिमा तथा नवरस Jain Education International For Private & Personal Use Only :::: :::: Iსო .. ३४५ ८६-३६२ १४ -- ३७९ ३५-३८४ १६-४०० १६-४०७ ११- ४१२ ६१-४१६ ६८--४३८ ५३-४६२ २८-४७९ www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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