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( २८ ) पातंजल योग भाष्य
ईश्वरवादी' सांख्यदर्शन के आदरणीय प्रन्थ पातञ्जलयोग भाष्य में ऋषि प्रवर व्यास और उस पर "तत्व विशारदी" नाम की विख्यात टीका के कर्ता निखिल शास्त्र निष्णात आचार्य वाचस्पति मिश्र ने कई स्थलों पर तत्वविचारणा में अनेकान्तवाद का अनुसरण तथा प्रतिपादन किया है, उदाहरणार्थ उनके निम्न लिखित स्थलों को देखिये ?
प्राकृत जगत् की अनेकान्ता
प्राकृत जगत् की नित्यानित्यता पर विचार करते हुए भाष्यकार लिखते हैं
।
(१) सांख्यदर्शन दो प्रकार का है एक निरीश्वरवादी दूसरा ईश्वर का मानने वाला । "विविध सांख्य दर्शनम् निरीश्वरं सेश्वरंच निरीश्वरवादिनस्तवदाहुः प्रकृति रचेतना त्रिगुणात्मिका प्रधान शब्दाभिधेया महदादि विशेष पर्यन्तेन प्रपंच रूपेण चेतनाना मुपभोगाय परिणमतीति । सेश्वर वादिनो प्येव माहुः । इयांस्तु विशेषः पुरुषशब्दाभिधेयमीश्वरं क्लेशकर्मविपाकाशयर परामष्ट माश्रित्य प्रकृतिर्जगत् सृजति ।"
[शास्त्रदीपिका पृष्ठ ४४२]
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