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________________ [ २७ ] अभी गवेषणीय है जो कि अधिकतया पुरातत्त्वज्ञों के परिष्कृत विचारों पर अवलंबित है। प्रशस्त पादाचार्यवैशेषिक सूत्रों पर प्रशस्तपाद नाम के विख्यात भाष्य के रचयिता प्रशस्त पादाचार्य का समय आजकल के ऐतिहासिक विद्वानों ने ईसा की पांचवीं शताब्दी स्थिर किया है। इनका उक्त भाष्य बड़ा ही अनुपम और दार्शनिक जनता में बड़े आदर की दृष्टि से देखा जाता है। वात्स्यायन मुनि ऐतिहासिक पंडितों का अनुमान है कि वात्स्यायन मुनि ईसा की चौथी शताब्दी में हुए । न्याय सूत्रों पर किया हुआ इनका भाष्य वात्स्यायन भाष्य के नाम से प्रसिद्ध है । ईसा की पांचवीं सदी [४९०] में होने वाले बौद्ध विद्वान् दिङ्नागने अपने "प्रमाणसमुच्चय" ग्रन्थ में इनके भाष्य पर समालोचनात्मक जो विवरण लिखा है उससे इनका चौथी सदी में होना विश्वसनीय है। पतंजलि ऋषिमहाभाष्यकार पतंजलि और योग सूत्रों के रचयिता पतंजलि दोनों एक ही व्यक्ति हैं या भिन्न भिन्न इस बात का अभी तक पूरा निश्चय नहीं हुआ। तथा महाभाष्यकार पतंजलि के समय में भी इतिहास वेत्ताओं का मत भेद है। किसी के मत में इनका समय ईसा से Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.002141
Book TitleDarshan aur Anekantavada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Sharma
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size8 MB
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