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[ ३ ] इतनी बड़ी सम्पत्ति के स्वामी होने पर भी आपमें उसका ग़रूर बिलकुल नहीं था। आप धनी और निर्धन दोनों का ही समान आदर किया करते थे। व्यावहारिक शिक्षा के साथ आप में धार्मिक शिक्षा की भी कमी न थी। वह शास्त्रीय रूपमें भले ही कुछ कम हो मगर अनुभव के रूपमें वह पर्याप्त थी। ___ आपके समान विद्यानुरागी और विद्वत्सेवी पुरुष धनाढ्य वर्गमें बहुत कम देखने में आयेंगे । योग्य विद्वानों के समागम की आपको अधिक उत्कंठा रहती थी। उनके सहवास से आपने भारतीय दर्शन शास्त्रों के सिद्धान्तों का खूब मनन किया था इसी लिये जैन दर्शन पर आपकी उच्च दर्जे की आस्था थी।
____ आपके जीवन में रहे हुए इन सब गुणों की अपेक्षा भी अधिक ध्यान खेंचने वाली कोई बात है तो वह आपकी सच्चरित्रता है । जहां पर धन सम्पत्ति का आधिक्य होता है वहां पर सच्चरित्रता-आचरण सम्पन्नता-का प्रायः अभाव सा ही देखने में आता है परन्तु आप इसके अपवाद थे आपमें धन सम्पत्ति का आधिक्य होने के साथ श्रेष्ठ आचार सम्पत्ति की विशिष्टता भी पर्याप्त थी।
आप बीस वर्ष से अखंड ब्रह्मचारी थे। योगाभ्यास में आपका पूर्ण लक्ष्य था और पिछले दस बर्ष से तो आप सर्वथा आत्म चिन्तन में ही निमग्न रहते थे। आपकी प्रकृति में द्वेष का नाम तक भी देखने में नहीं आता था । आप बाल्य काल से ही प्रकृति के मृदु और विचारों के उदार थे। सामाजिक और धार्मिक
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