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________________ ' १८० : जैनदर्शन में आत्म-विचार चाहिए कि काल, स्वभाव, नियति और कर्म-समष्टि रूप से घटनाओं के कारण हैं (व्यष्टि रूप से नहीं)।' हरिभद्र की तरह सिद्धसेन दिवाकर ने भी किसी कार्य का निष्पन्न होना काल, स्वभाव, नियति, पूर्वकृत कर्म और पुरुषार्थ की समष्टि पर निर्भर माना है। इनमें से किसी एक को कार्यसिद्धि का समग्र कारण मानना मिथ्या धारणा है ।२ न तो मात्र पुरुषार्थ से और न मात्र भाग्य से अर्थ की संसिद्धि होती है किन्तु इसके विपरीत इन दोनों के समन्वय से ही अर्थ प्राप्ति होती है। इतना जरूर है कि कभी दैव मुख्य होता है और कभी पुरुषार्थ । ईश्वर संसार का नियन्ता और नियामक है, यह भी जैन दार्शनिकों को मान्य नहीं है। जैनमत के अनुसार जीवों के अपने-अपने कर्म ही फल प्रदान कर उनको सुख-दुःख का अनुभव कराते हैं। कर्म सिद्धान्त प्रतिपादक साहित्य का अनुशीलन करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि जैन दार्शनिकों ने कर्म सिद्धान्त का प्रतिपादन जिस वैज्ञानिक पद्धति से विस्तृत तथा सुव्यवस्थित रूप से किया है वैसा अन्यत्र दुर्लभ है। जैन दर्शन में कर्म सिद्धान्त कितना महत्त्वपूर्ण है और लोकप्रिय है, यह कर्म विषयक ग्रन्थों से सिद्ध हो जाता है। आगम युग से आज तक कर्म-सिद्धान्त सम्बन्धी विपुल साहित्य लिखा गया है । षड्खंडागम, महाबन्ध, कषायपाहुड़, पंचसंग्रह, गोम्मटसार (कर्मकांड), कर्मप्रकृति आदि कर्म सिद्धान्त के प्रमुख ग्रन्थ हैं। कर्म का अर्थ और उसकी पारिभाषिक एवं दार्शनिक व्याख्या कर्म का अर्थ : कर्म शब्द का अर्थ विभिन्न दृष्टियों से विभिन्न प्रकार का किया गया है।" 'यत् क्रियते तत् कर्म'५ इस व्युत्पत्ति के अनुसार किसी कार्य या व्यापार का १. अतः कालादयः सर्वे समुदायेन कारणम् । गर्भादेः कार्यजातस्य विज्ञेया न्यायवादिभिः ॥ न चैकैकत एवेह क्वचित् किञ्चिदपीक्ष्यते । तस्मात् सर्वस्य कार्यस्य सामग्री जनिका मता ॥ -शास्त्रवार्तासमुच्चय, २।७९-८० । २. सन्मतितर्कप्रकरण, ३१५३ । ३. आप्तमीमांसा, ८८१ । ४. तत्त्वार्थवार्तिक, ६।१।३। ५. षट्खंडागम, भाग ६, पृ० १८ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002140
Book TitleJain Dharma me Atmavichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1984
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Soul, & Spiritual
File Size13 MB
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