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________________ १७२ : जैनदर्शन में आत्म-विचार गये हैं ।" डायसन ने छान्दोग्योपनिषद् को आधार बनाकर आत्मा के तीन अवस्थाओं - शरीरात्मा, जीवात्मा और परमात्मा का उल्लेख किया है । जीवात्मा, शिवात्मा, परमात्मा और निर्मलात्मा ये चार भेद रामदास ने किया है । अन्त में वे इन चारों को एक ही मान लेते हैं । १. बहिरात्मा : अज्ञान के कारण आत्मा के सच्चे स्वाभाविक स्वरूप को भूलकर आत्मा से भिन्न शरीर, इन्द्रिय, मन, स्त्री-पुरुष और धनादि में ममत्व बुद्धि रखने वाले को कुन्दकुन्दाचार्य, योगेन्दु एवं पूज्यपाद आदि आचार्यों ने हरात्मा कहा है । ४ बहिरात्मा के भेद : द्रव्यसंग्रह की टीका में बहिरात्मा के तीन भेद किये हैं" : - ( क ) तीव्र बहिरात्मा : मिथ्यात्व गुणस्थानवर्ती आत्मा । ( ख ) मध्यम बहिरात्मा : सासादन गुणस्थानवर्ती आत्मा । (ग) मंद बहिरात्मा : मिश्र गुणस्थानवर्ती आत्मा । २. अन्तरात्मा : मिथ्यात्व के अभाव से और सम्यक्त्व के होने से जब जीव आत्मा और शरीरादि में भेद को समझने लगता है और बाह्य पदार्थों से ममत्व बुद्धिको हटाकर आत्मा के सच्चे स्वरूप की ओर उन्मुख हो जाता है, तब उसे अन्तरात्मा कहा जाता है । कुन्दकुन्दाचार्य ने मोक्षपाहुड़ में आत्मसंकल्प रूप आत्मा को अन्तरात्मा कहा है । अन्तरात्मा के भेद : आत्मगुण के विकास के अनुसार नियमसार की तात्पर्यवृत्ति टीका में अन्तरात्मा के तीन भेद किये गये हैं : ( क ) जघन्य अन्तरात्मा : अविरत सम्यग्दृष्टि चतुर्थ गुणस्थानवर्ती आत्मा । " १. कठोपनिषद्, अध्याय १।३।१३ । २. परमात्मप्रकाश की अंग्रेजी प्रस्तावना ( आ० ने० उपाध्ये ), पृ० ३१ और हिन्दी रूपान्तर ( पं० कैलाशचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री ), पृ० १०१ | ३. वही । ४. ( क ) नियमसार, गाथा १४९-५० । (ख) योगसार, गा० ७ । (ग) समाधितंत्र : पद्य ७ । ५. द्रव्यसंग्रह टीका, गा० १४ । ६. रयणसार, गाथा १४१ ; समाधितंत्र, पद्य ५; परमात्मप्रकाश, दोहा १४ । मोक्षपाहुड़, गाथा ५ । ७. ८. ( क ) कार्तिकेयानुप्रेक्षा, गा० १९७ । (ख) नियमसार, तात्पर्यवृत्ति टीका, गा० १४९, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002140
Book TitleJain Dharma me Atmavichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1984
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Soul, & Spiritual
File Size13 MB
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