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ज्ञानमीमांसा
३२६ को हम सिद्ध करना चाहते हैं उसका प्रथम निर्देश प्रतिज्ञा है। इससे यह मालूम हो जाता है कि हमारा साध्य क्या है। हम क्या सिद्ध करना चाहते हैं। प्रतिज्ञा को पक्ष भी कहते हैं। 'इस पर्वत में अग्नि है' यह प्रतिज्ञा या पक्ष का उदाहरण है।।
हेतु-साधनत्व को अभिव्यक्त करने वाला वचन हेतु है।' संस्कृत में पंचमी या तृतीया विभक्ति के साथ समाप्त होने वाला साधनवाचक वचन हेतु कहलाता है। हिन्दी में क्योंकि, चूकि आदि शब्दों से साधन का प्रतिपादन होता है। 'इस पर्वत में अग्नि है क्योंकि इसमें धूम है' यह हेतु का उदाहरण है। इसी को अधिक स्पष्ट किया जा सकता है क्योंकि अग्नि के होने पर ही धूम हो सकता है अथवा अग्नि के अभाव में धूम नहीं हो सकता। साधन और साध्य के सम्बन्ध को दिखाते हुए इसका प्रयोग किसी भी प्रकार किया जा सकता है।
उदाहरण-हेतु को अच्छी तरह समझाने के लिए दृष्टान्त का प्रयोग करना उदाहरण है। उदाहरण का प्रयोग दो तरह से हो सकता है-साधर्म्य और वैधर्म्य । सादृश्य बताने वाले उदाहरण का प्रयोग करना साधम्र्योदाहरण है। 'जहाँ-जहाँ धूम होता है वहाँ-वहाँ अग्नि होती है-जैसे पाकशाला' यह साधर्म्य दृष्टान्त है। वैधर्योदाहरण में विसदृशता को प्रकट करने वाला दृष्टान्त दिया जाता है। 'जहाँ पर अग्नि नहीं होती वहाँ पर धूम नहीं होता-जैसे जलाशय' यह वैधर्म्यदृष्टान्त है । दोनों में से किसी एक का प्रयोग करना चाहिए।
१. साधनत्वाभिव्यंज विभक्त्यन्तं साधनवचनं हेतु: ।।
--प्रमाणमीमांसा, २.१.१२. २. दृष्टान्तवचनमुदाहरणम् । -वहा, २.१.१३.
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