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________________ ५६ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श में बुद्ध ने अन्तिम उपदेश' देकर महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था । उपवतन शालवन को कनिंघम' ने कसया के माथा कुँवर कोट से समीकृत करने का प्रयास किया है, जो वर्तमान में महापरिनिर्वाण मन्दिर से ४०० गज की दूरी पर स्थित है । __ महापरिनिर्वाण-यात्रा के पूर्व भी बुद्ध का कुशीनारा के उपवतन में आगमन हुआ था, जहां उन्होंने 'अंगुत्तर निकाय के कुशीनारा सुत्त' का उपदेश दिया था। उपवतन शालोद्यान के अतिरिक्त कुशीनारा के समीप बलिहरण वन और खण्डवन भी स्थित थे, जहाँ बुद्ध कई बार चर्या कर विहार किये थे। वहीं पर उन्होंने 'मज्झिम निकाय' के 'किन्तिसुतन्त्र' तथा 'अंगुत्तर निकाय' के 'कुशीनारा सुत्त' का उपदेश दिया। बौद्ध साहित्य'संगीति परिपापउसुत्त' दोघनिकाय ३/१० से ज्ञात होता है कि बुद्ध ५०० भिक्षु-संघ के साथ चारिका करते हुए चुन्दकार के आम्रवन में विहार किये थे। उस समय उन्होंने पावा के नवीन संस्थागार का उद्घाटन कर पावा के मल्लों को उपदेश दिया था। इस अवसर पर सारिपुत्र ने भिक्षुओं को संगठित रहने का भी उपदेश दिया था। एक बार बुद्ध पावा के आजकलपिय अथवा 'अजकपालिय' नामक चैत्य में विहार करते हुए ठहरे थे तो उन्होंने आजकलाप यक्ष को विनीत किया था, जैसा कि 'उदान" से ज्ञात होता है। इन घटनाओं का पूर्व में उल्लेख किया जा चुका है। 'महापरिनिव्वाण सुत्त" के अनुसार महापरिनिर्वाण के पूर्व अन्तिम १. दीघ निकाय (हि०) महापरिनिर्वाण सुत्त, पृ० १४६, भारतीय बौद्ध बिहार परिषद्, लखनऊ, वि सं० १९१९ । २. कनिंघम, ए. आर्कियोलाजिकल सर्वे आव इण्डिया रिपोर्ट, खण्ड १, पृ० ७७-८३ एवं ऐश्येंट ज्याग्रफी आव इण्डिया, पृ० ४९४, भारतीय पब्लिशिंग हाउस, वाराणसी, १९७५ । ३. अंगुत्तरनिकाय (हि०) कौसल्यायन, भदन्त आनन्द, पृ० २५५-२५६, महाबोधि सभा, कलकत्ता, १९५७ । ४. मल्लसेकर, जी० पी० डिक्शनरी आव पालि प्रापररेम्स, खण्ड १, पृ० ६५५, जानमुरे अलमार्टा स्ट्रोट, लन्दन, १९३८ । ५. उदान (हि.) भिक्षु काश्यप, जगदीश, पृ० ८, महाबोधि सभा सारनाथ बुद्धाब्ध-४८२। ६. दीघनिकाय (म० परि० नि० सुत्त हिन्दी) भारतीय बौद्ध बिहार परिषद्, लखनऊ, द्वि० सं० १९१९ । . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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