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________________ महाराष्ट्र : ५७ पड़ाव के समय चुन्दकर्मार के घर पर शूकर-मादेव का अन्तिम भोजन ग्रहण कर बुद्ध रोगग्रस्त हो गये थे। अन्य निगमों और ग्रामों के विषय में यह निश्चित नहीं हो पाया है 'कि ये नगर पावा के मल्लराष्ट्र में थे अथवा कुशीनारा के । अरुवेलकप्प मल्लराष्ट्र का एक नगर था। बुद्ध कई बार वहां गये थे। संयुत्तनिकाय के 'भद्द सुत्त' और 'मल्लिक सुत्त'२ का उपदेश इस नगर में ही दिया गया था । अंगुत्तरनिकाय में भी आनन्द को साथ लेकर बुद्ध द्वारा इस नगरी में विहार करने का उल्लेख है । आनन्द को यहाँ ठहरने का आदेश देकर बुद्ध स्वयं दिन में ध्यान के लिए समीपस्थ महावन में चले गये थे। इसी समय तपस्सु नामक एक गृहस्थ से आनन्द आकर मिला था। आनन्द उसे लेकर बुद्ध के पास गये थे। बुद्ध ने उसे दुःख की उत्पत्ति और निरोध का उपदेश दिया, जिससे उसके चित्त को शान्ति मिली। 'अनूपिया' मल्लराष्ट्र का एक प्रसिद्ध निगम था। महावस्तु में इसे अनोमिय कहा गया है और इसे मल्लराष्ट्र में स्थित माना गया है, क्योंकि शाक्य कुमार ने महाभिनिष्क्रमण के बाद अनोमा नदी को पारकर अनूपिया के आम्रवन में सात दिन तक ध्यान किया था। पालिपरम्परा के अनुसार यह कस्बा कपिलवस्तु से २० योजन दूर था। इस प्रकार कपिलवस्तु और राजगृह के बीच में यह स्थित था । अनूपिया कपिलवस्तु के पूर्व में स्थित था, क्योंकि शाक्य कुमार ने घर से चलकर शाक्य, कोलिय और मल्ल इन तीन प्रदेशों को क्रमशः पार किया था। बुद्धत्वप्राप्ति के पश्चात् कई बार भगवान् अनुपिया में आये थे । कपिलवस्तु की प्रथम यात्रा से वापस लौटते हुए वे अनूपिया होकर राजगृह आये थे। इस यात्रा का विस्तृत विवरण 'चुल्लवग्ग" से ज्ञात होता है। १. संयुक्त निकाय (हि०) भिक्षु काश्यप, जगदीश, खण्ड २, भद्दसुत्त, पृ. ५८६.८८। २. वही, मल्लिक सुत्त, पृ० ७२७, महाबोधि सभा, सारनाथ, वाराणसी, १९५४। ३. अंगुत्तर निकाय (हि०) कौसल्यायन, भदन्त आनन्द, खण्ड ४, पृ० ४३८, ४४४, महाबोधि सभा, कलकत्ता, १९५७ । ४. महावत्त ? खण्ड-२, पृ० १८९ । १५. चुल्लवग्ग, सम्पा० भिक्षु काश्यप, जगदीश, ७/३, पालि प्रकाशन मण्डल, नालन्दा, पटना, १९५६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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