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________________ ५४ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श १ आलवी में व्यतीत किये थे। इसके अतिरिक्त भरत सिंह उपाध्याय' के अनुसार पूर्ववर्ती और उत्तरवर्ती पालि विवरणों में भगवान बद्ध के उत्तरकुरुद्वोप, कैलाश, मानसरोवर, चन्द्रभागा, चिनाव नदी के तट, नर्मदा नदी को पार कर सूचनोपरान्त जनपद लंका और वर्मा तक जाने का उल्लेख मिलता है । परन्तु उनकी यात्रा का न तो कहीं वर्णन किया गया है और न उसमें लगे समय का या रास्ते में पड़ने वाले विश्राम स्थलों का निश्चित उल्लेख किया गया है। प्रायः वायुमार्ग से या ऋद्धि बल से ही उन्हें पहुँचा दिया गया है जिसे पौराणिक विवरण ही कहा जा सकता है। साथ ही बुद्ध की चर्याओं का क्रम क्या था इस पर न तो त्रिपिटकों से प्रकाश पड़ता है और न ही अट्ठकथाओं से । अतः बुद्ध की चारिकाओं का कालक्रम के अनुसार पूर्ण भौगोलिक विवरण असम्भव है। बौद्ध साहित्य के अध्ययन से ज्ञात होता है कि बुद्ध ने प्रायः मध्यदेश की सीमा के अन्तर्गत ही अपनी चारिकायें की थी । उत्तर में वे हिमालय के पार्श्व में स्थित कोलिय जनपद के निगम सायुग एवं हरिद्वार के समीप श्री ध्वज पवंत, दक्षिण में कौशाम्बी, पूर्व में मध्य प्रदेश की पूर्वी सीमा पर स्थित कजंगल निगम के वेणु वन तथा मुखेल वन में विहार किया था । वे अंगुत राय के अपण नामक ग्राम में विश्राम किये थे । परन्तु उनके द्वारा कोशी नदी पार करने का कहीं विवरण नहीं है। बुद्ध पश्चिम में मथुरा तक गये थे। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि बुद्ध के चारिका एवं देशना का क्षेत्र यद्यपि मध्यदेश तक ही सीमित रहा है, परन्तु महावीर के चारिका एवं देशना के क्षेत्र से विस्तृत रहा है। अध्ययन से ज्ञात होता है कि महावीर का अधिकांश समय प्रायः बिहार में व्यतीत हुआ। पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद से भी उनका घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। बुद्ध की चारिका एवं धर्म-प्रचार का क्षेत्र जितना बिहार में रहा है उतना ही पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी रहा है। आश्चर्यजनक यह है कि महावीर के विषय में बौद्ध साहित्य में प्रायः १. बुद्धचर्या-पं० सांकृत्यायन, राहुल, पृ० ८९, महाबोधि सभा, सारनाथ, बनारस, द्वितीय संस्करण, १९५२ । २. बुद्धचर्या (हि.) पं० सांकृत्यायन, राहुल पृ० ६७, मज्झिमनिकाय (हि.) पं० सांकृत्यायन राहुल, महाबोधि सभा, सारनाथ, वाराणसी, १९३३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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