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________________ ५० : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श महावीर एवं बुद्ध के परस्पर साक्षात्कार के विषय में भी विद्वानों में मत-वैभिन्न्य रहा है । पं० राहुल सांकृत्यायन' तथा भँवरलाल नाहटा की दृष्टि में महावीर एवं बुद्ध का कभी साक्षात्कार नहीं हुआ था । परन्तु वेंकटरमैय्या तथा प्रो० के० डी० वाजपेयी ३ का स्पष्ट मत है कि उन दोनों में परस्पर श्रावस्ती में शास्त्रार्थ हुआ था । साहित्यिक साक्ष्यों के अनुसार दोनों महापुरुष एक ही समय एक ही नगर जैसे – नालन्दा, वैशाली, श्रावस्ती इत्यादि में विहार किया है । दोनों के भिक्षुओं ( श्रमणों) एवं गृहस्थ शिष्यों (श्रावकों ) में बार-बार विवाद होते रहते थे । महापण्डित राहुल सांकृत्यायन' ने इन दोनों महापुरुषों की प्रतिद्विता के विषय में विस्तार से चर्चा की है । एक बार नालन्दा में जब महावीर वास कर रहे थे, बुद्ध विशाल भिक्षु संघ के साथ वहाँ पहुँचे थे । उस समय नालन्दा अकाल तथा महामारी रोग से ग्रस्त था । महावीर ने नालन्दावासी असिबन्धकपुत्र को बुद्ध के पास यह कहकर भेजा कि ऐसे समय में जबकि नालन्दावासी जीवन-रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हों, गौतम का इतने बड़े भिक्षु संघ के साथ आना क्या उचित माना जायेगा ? जब महावीर और बुद्ध नालन्दा में एक साथ विहार कर रहे थे, तो महावीर ने अपने शिष्य दीर्घतपस्वी से महात्मा बुद्ध का वाद-विवाद करवाया था । शिष्य के पराजित होने पश्चात् उन्होंने गृहस्थ श्रावक उपालि गृहपति को बुद्ध के पास भेजा । वह बुद्ध से इतना प्रभावित हो गया कि उनके विचारों का अनुपोषक हो गया । के वैशाली में भी इसी प्रकार बुद्ध एवं महावीर की प्रतिद्वन्द्विता का प्रमाण मिलता है । महावीरानुयायी वैशाली नरेश चेटक का पुत्र सेनापति सिंहभद्र बुद्ध की ख्याति सुनकर उनका दर्शन करना चाहता था। बारबार महावीर के रोकने पर भी वह बुद्ध का दर्शन करने गया और इतना १. बुद्धचर्या (हि०), सांकृत्यायन राहुल, पृ० १०३-१०४ । २. सं० ललवानी, जी० पी०, भँवरलाल नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ, पृ०७३, बी० एल० नाहटा अभिनन्दन समिति, ८८ केनिंग स्ट्रीट, कलकत्ता१९८६ । -१, ३. सं० प्रो० बाजपेयी, के० डी०, श्रावस्ती, पृ० ७, साहित्यनिकेतन, ३७/५० गिलिस बाजार, कानपुर १९८७ । ४. बुद्धचर्या सांकृत्यायन राहुल, पृ० १०३-१०४, ४१४-४२३ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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