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४० : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श अरेराज, बेतिया, रतवल नगरों को भी अंकित करते हुए इन्हें बुद्धकाल का प्रमुख नगर माना है।
गणतन्त्र के रूप में मल्लराज्य 'दीघनिकाय' के जनवसमः सुत्त' में इन दोनों पड़ोसी गणतन्त्रों का साथ-साथ उल्लेख किया गया है-'वज्जिमल्लेसू' । इतिहास के पन्नों में भी इसका विवरण साथ-साथ मिलता है। मल्ल एवं लिच्छवी दोनों राष्ट्रों की यह मुख्य विशेषता थी कि ये प्रजातन्त्रीय शासन प्रणाली में विश्वास करते थे। ___मल्ल और लिच्छवियों का सघ था इतना निश्चित है क्योंकि महावीर के निर्वाण के समय यह संघ उपस्थित था । यद्यपि इस संघ की कार्यप्रणाली का कोई विस्तृत विवरण नहीं प्राप्त होता है। परन्तु इतना अवश्य है कि वर्तमान federation या संघ के समान ही संघसमिति में क्षेत्रफल व जनसंख्या आदि का विचार न कर सभी संघ समान रूप से सदस्य रहते थे। यह इसी से स्पष्ट है कि संघ के परिषद में ९ लिच्छवियों
और ९ मल्लों को मिलाकर कुल १८ सदस्य थे। मल्लराष्ट्र को शासन प्रणाली :
बुद्धकाल में मल्ल और लिच्छवि राष्ट्रों में गणतान्त्रिक राज्यप्रणाली और बौद्ध धर्म का विकास इन दो तथ्यों ने सम्पूर्ण भारतीय इतिहास को प्रभावित किया एवं मानव समाज को नवीन प्रेरणा प्रदान किया।
बुद्धकाल में मल्लराष्ट्र, वज्जिराष्ट्र तथा इनके निकटवर्ती क्षेत्रों में गणतान्त्रिक शासन-प्रणाली का पूर्णरूपेण विकास हो चुका था। साथ हो -साथ सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति भी हो रही थी। उस समय संघीय गणतन्त्र थे जिसके अनेक राष्ट्र सदस्य होते थे । वस्तुतः महा-जनपद युग में संघों की परम्परा मिथिला से लेकर, वाहलिक तक फैली हुई थी। मल्ल एवं वज्जिराष्ट्र भी तत्कालीन संघ-श्रृंखला को कड़ी थे। वज्जि गणतन्त्र की शासन-प्रणाली के मूल सिद्धान्तों का दिग्दर्शन शाक्य मुनि. तथा आनन्द के संवाद से होता है१. दीघनिकाय-जनवसमः सुत्त (हि० अ०), पृ० १६० । २२. दीघनिकाय (हि० ) भाग-२, महापरिनिब्बाण सुत्त, पृ० ५९-६२ ।
अथ खो भगवा आयस्मन्तं आनन्दं आमन्तेसि-"किन्ति, ते आनन्द, सुतं,‘वज्जी अभिण्हं सन्निपाता सन्निपात--बहुला' " ति ? "सुतं मेतं भन्ते–'वज्जी अभिण्हं सन्निपाता सन्निपातबहुला'" ति ।
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