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________________ मल्लराष्ट्र : ३९ लम्बा था । पूर्व से पश्चिम की ओर उसकी लम्बाई तीन सौ मील और उत्तर से दक्षिण की ओर एक सौ मील थी । 1 वज्जि जनपद बुद्धकाल में एक प्रभावशाली गणतन्त्र था । मगध से इसकी प्रतिद्वन्दिता बुद्धकालीन राजनैतिक इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण घटना है । वज्जिसंघ में आठ गणराज्य सम्मिलित थे और ये 'अट्ठकुलिक' कहलाते थे । वज्जियों के इन आठ कुलों में से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण राष्ट्र, वज्जि, लिच्छवी और विदेह ही थे । चौथे गणतन्त्र का नाम सम्भवतः 'आतिक' या ज्ञातिक था, जिसकी नगरी नादिका मानी गयी है । वज्जिक संघ के शेष चार गणतन्त्रों के सम्बन्ध में पालि स्रोतों से कुछ निश्चित सूचना नहीं मिलती । परन्तु हेमचन्द्र राय चौधुरी' ने स्वीकार किया है कि ये सम्भवतः उग्र ( वैशाली या हस्तग्राम) भोग ( भोगनगर के ) atra ( कुरुक्षेत्र के ब्राह्मण जो पूर्व काल में विदेह में आकर बस गये थे) एवं ऐक्ष्वाकु (वैशाली) के थे । ए० कनिंघम वज्जिसंघ की भौगोलिक स्थिति के हैं कि वज्जिसंघ पूर्व से पश्चिम की दिशा में उत्तर से लम्बा था । पूर्व से पश्चिम की ओर उसकी 'लम्बाई उत्तर से दक्षिण की ओर एक सौ मील थी । ए० कनिंघम ने बौद्ध साहित्य और ह्वेनसांग के यात्रा - विवरण के आधार पर लिखा है 'वज्जिसंघ तन्त्र में कई प्राचीन नगर थे, जो सम्भवतः आठ अलग-अलग गणराज्यों की राजधानियां रही होंगी । बुद्धकाल में इस क्षेत्र के प्रमुख केन्द्रों में वैशाली, केसरिया, जनकपुर, नन्दनगढ़,सरमन, दरभंगा, पूर्णिया और मोतीहारी सम्मिलित थे । कनिंघम ने १८६२ में नन्दनगढ़ का स्वयं निरीक्षण किया था ।' ह्वेनसांग की यात्रा के मानचित्र में जिन नगरों का वर्णन किया है, उन नगरों के अतिरिक्त कनिंघम ने अपने मानचित्र में करवरा, लोरिया, सम्बन्ध में लिखते दक्षिण की अपेक्षा तीन सौ मोल और १. रायचौधुरी, हेमचन्द्र रे, पोलिटिकल हिस्ट्री आव ऐंश्येण्ट इण्डिया - १० ११८-१२०, यूनिवर्सिटी प्रेस, हजारा रोड, कलकत्ता १९७२ । २. ए० कनिंघम, ऐंश्येण्ट ज्याग्रफी आव इण्डिया, पृ० ३७८, चक्रवर्ती एण्ट चटर्जी एण्ड कम्पनी, कलकत्ता १९२४ ॥ ३. वही १९२४ । ४. वही, मानचित्र, ह्वेनसांग यात्रा, आगे । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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