SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 58
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३८ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमश सुदूर दक्षिण-पूर्व में मगध राज्य था। मल्ल राज्य के पश्चिम में ही मगध और शाक्य जनपद के बीच कोलिय राज्य था। मल्लराष्ट्र और मगध के बीच मोरियो का छोटा सा राज्य स्थित था । मल्लराष्ट्र के अन्तर्गत गोरखपुर जनपद का पूर्वीभाग सम्पूर्ण देवरिया जनपद तथा सारन जनपद का अधिकांश भू-भाग सम्मिलित था। दक्षिण में सरय के दाहिने तट का भी कुछ भाग सम्मिलित था। मल्लराष्ट्र गणतन्त्रों के विस्तार की दृष्टि से विशालतम था। साधन-सम्पन्न तथा सर्वाधिक प्रभावशाली माना जाता था। पालि त्रिपिटक के अनुसार मल्लरट्र (मल्लराष्ट्र) दो भागों में विभक्त था, जिनकी राजधानियां क्रमशः कुशीनारा और पावा थीं। राजधानियों के आधार पर 'मल्ला कोसिनारका' (कुशीनारा के मल्ल) और 'मल्ला पावेप्यका (पावा के मल्ल) कहे जाते थे । कुकुत्था नदी इन प्रदेशों को विभाजक रेखा थी। ए० कनिंघम की ऐसी मान्यता है कि पावा गण्डक के किनारे स्थित थी, तो निश्चित है कि यहां प्राचीन घाट रहे हैं जिससे बुद्धकाल में निरन्तर आवागमन होता रहा है। इसके अतिरिक्त मल्लराष्ट्र के प्रमुख नगरों में ब्राह्मणग्राम उरु वेलकप्प, अनूपिया एवं थूणांक थे। उनके अनुसार कसया से ८ मील नीचे छोटी गण्डक या हिरना नदी के दक्षिणी छोर पर प्राप्त कुकुत्था नदी का नाम आधुनिक काल में बाड़ी या बरही या बान्धी नाला है। वज्जिसंघ ___ गंगा के उत्तर में नेपाल को तराई तक फैला हुआ वज्जिसंघ १६ महाजनपदों में प्रमुख था। राहुल सांकृत्यायन' के मतानुसार वज्जिसंघ में वर्तमान बिहार प्रदेश के चम्पारन, सारन, मुजफ्फरपुर एवं दरभंगा के कुछ भाग सम्मिलित थे। इसके पूर्व में बाहुमती (बागमती) नदी बहती थी और पश्चिम में गण्डक । इस प्रकार उसकी सीमा मल्लगणतन्त्र और मगध राज्य तक फैली हुई थी। वज्जिसंघ मल्ल राज्य के पूर्व या दक्षिण-पूर्व में तथा मगध राज्य के उत्तर में था। ए० कनिंघम वज्जिसंघ की भौगोलिक स्थिति के विषय में लिखते हैं कि वज्जिसंघ पूर्व से पश्चिम की दिशा में उत्तर से दक्षिण की अपेक्षा १. बुद्धचर्या-सं०५० सांकृत्यायन, राहुल-१० ३८० । २. कनिंघम, ए०, ऍश्येष्ट ज्याग्रफी आव इण्डिया, पृ० ३७८, चक्रवर्ती, चटर्जी एण्ड कम्पनी, कलकत्ता १९२४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy