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३० : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श
मल्लराष्ट्र-प्राग्बुद्धयुग
मल्लराष्ट्र की स्थापना के पूर्व यह क्षेत्र कोशल राज्य में था । ब्राह्मणग्रन्थों तथा उपनिषदों में विदेहराज जनक के काल के उत्तरभारत की राजनैतिक स्थिति पर कुछ प्रकाश डाला गया है । इन ग्रन्थों के अनुसार उत्तरभारत में विदेह के अतिरिक्त ९ महत्त्वपूर्ण राज्य थे' -
(१) गन्धार (२) केकय
(३) मद्र (४) उशीनर
(५) मत्स्य
(६) कुरु (७) पंचाल
(८) काशी (९) कोशल
वैदिक साहित्य से इन राज्यों की भौगोलिक सीमा पर प्रकाश नहीं पड़ता है । अतः इनकी भौगोलिक स्थिति जानने के लिए वेदों के पश्चात्तवर्ती साहित्य को अध्ययन का आधार बनाना होगा । रायचौधुरी र के अनुसार वस्तुतः वर्तमान अवध ही प्राचीन कोशल राज्य था । उत्तर में इसकी सीमा नेपाल की पहाड़ियों की तलहटी तक फैली हुई थी । पूर्वदिशा में सदानीरा नदी इसे विदेह से अलग करती थी । सदानीरा किसी समय आर्य जगत की पूर्वी सीमा थी इसके दूसरी ओर विस्तृत जंगल था । ब्राह्मण लोग इस प्रदेश में नहीं जाते थे । परन्तु माधव विदेह की इस प्रदेश पर विजय के पश्चात् यहाँ विदेह के समृद्ध राज्य की स्थापना • हुई थी । माधव विदेह वृत्तान्त से स्पष्ट है कि कोशल- राज्य पर ब्राह्मणों का आधिपत्य विदेह से पूर्व हुआ था । कोशल के दक्षिण में सर्पिका अथवा स्यन्दिका नामक नदी थी और पश्चिम में गोमती, जो नैमिषारण्य से होकर बहती थी । यह नदी कोशल तथा पांचाल सहित अन्य राज्यों के बीच सीमा रेखा का कार्य करती थी । वैदिक साहित्य में कोशल के किसी
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९. रायचौधुरी, एच० सी०, प्राचीन भारत का राजनीतिक इतिहास, पृ० ४८ । २. वही, पृ० ६२-६३ ।
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