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मल्लराष्ट्र : ३१ नगर का उल्लेख नहीं है । रामायण काल में कोशल की राजधानी अयोध्या सरयू के तट पर बसी हुई थी ।
बुद्ध युग के पूर्व भी मल्लराष्ट्र भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध था । सर्वप्रथम वाल्मीकि रामायण में मल्ल जाति एवं मल्लराष्ट्र की उत्पत्ति एवं इसकी भौगोलिक स्थिति के विषय में विस्तार से सूचना प्राप्त होती होती है। इसमें अश्वमेध यज्ञ के पश्चात् श्रीराम द्वारा अनुज पुत्रों को मण्डलीय राज्य देने के सम्बन्ध में लक्ष्मण से मन्त्रणा करने का उल्लेख है। राम कहते हैं कि अपने दोनों कुमार अंगद एवं चन्द्रकेतु धर्म के तत्त्व को समझने वाले और राज्य शासन के लिए अपेक्षित दृढ़ता से युक्त पराक्रमी हैं । इनका राज्याभिषेक करने की मेरी इच्छा है। ऐसा देश बताओ जो रमणीय और बाधा रहित हो जहाँ पर ये दोनों धनुर्धारी आनन्द से विचरण कर सकें। वह ऐसा प्रदेश हो जहाँ न तो राजा को पीड़ा और न आश्रितों का विनाश हो । हे सौम्य ! ऐसा देश बतलाओ जिसको इन राजकुमारों को देकर हम अपराधी न कहलायें ।'
इसी प्रसङ्ग में भरत ने अपनी मन्त्रणा में अंगद के लिए कारुपथ तथा चन्द्रकेतु के लिए चन्द्रकान्ता नामक नगर के निर्माण का सुझाव दिया और चन्द्रकेतु जो मल्ल के समान हृष्ट-पुष्ट थे उसके लिए
१. इमौ कुमारौ सौमित्रे तव धर्मविशारदौ । अङ्गदश्चन्द्रकेतुश्च राज्यार्थे दृढविक्रमी ||२॥ इमौ राज्येऽभिषेक्ष्यामि देशः साधु विधीयताम् । रमणीयो ह्यसम्बाधो रमेतां यत्र धन्विनौ ||३|| न राज्ञां यत्र पीडा स्थान्नाश्रमाणां विनाशनम् । स देशो दृश्यतां सौम्य नापराध्यामहे यथा ॥४ ॥
वाल्मीकि रामायण, उत्तर खण्ड, सर्ग १०२ / २-४ गीता प्रेस, गोरखपुर, १९६७ ।
२. तथोक्तर्वात रामे तु भरतः प्रत्युवाच ह । अयं कारुपथो देशो रमणीयो निरामयः ॥ ५ ॥ निवेश्यतां तत्र पुरमङ्गदस्य महात्मनः । चन्द्रकेतोः सुरुचिरं चन्द्रकान्तं निरामयम् ॥६॥
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वाल्मीकि रामायण, उत्तरकाण्ड, सगं १०२, ५-६
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