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________________ साहित्यिक साक्ष्य : ९ थे? प्रतीत यही होता है कि पावा और मज्झिमा पावा एक ही थे। जहाँ तक पावा और मज्झिमापावा का उल्लेख था विशेषतः उत्तरवर्ती ग्रन्थों आवश्यकचूर्णि, कल्पसूत्रवृत्ति आदि में मज्झिमापावा का उल्लेख प्राप्त होता है जबकि आवश्यकनियुक्ति, विशेषावश्यकभाष्य जैसे अपेक्षाकृत पूर्ववर्ती ग्रन्थों में पावा का ही उल्लेख है।' इस सम्बन्ध में आधुनिक लेखकों और विद्वानों के विवेचन से उलझन उत्पन्न हुई है । जहाँ तक प्रथम और द्वितीय प्रश्न का सम्बन्ध है, वस्तुतः जैनसाहित्य में उल्लिखित हस्तिपाल ही बौद्ध साहित्य में मल्लशासक के रूप में चित्रित है। क्योंकि कल्पसूत्र में जहाँ पर निर्वाण के अवसर पर ९ मल्ल और ९ लिच्छवी गणराज्यों के राजाओं के उपस्थित होने का उल्लेख है वहाँ हस्तिपाल का अलग से नाम नहीं दिया गया है। ऐसा सम्भव नहीं है कि हस्तिपाल की राजधानी में जहाँ १८ अन्य राजा उपस्थित हों वहाँ वह स्वयं उपस्थित न हो और यह भी तब जबकि उसो को रज्जुकशाला में हो महावीर ठहरे हुए थे। स्पष्ट है ९ मल्लों में ही हस्तिपाल की गणना कर ली गई है। इस प्रकार हस्तिपाल को राजधानी मज्झिमापावा और मल्लशासकों की पावा में शंका के लिए कोई स्थान नहीं है । यदि यह तथ्य इतना ही सरल और स्पष्ट है तो इतिहासकारों और विद्वानों के मस्तिष्क में पावा के विषय में शंका कैसे बनी रही ? वे इन तथ्यों के प्रकाश में निर्णय की स्थिति में पहुँचे क्यों नहीं ? या उनमें साहित्यिक, अभिलेखोय, पुरातात्त्विक और भौगोलिक अध्ययन तथा सर्वेक्षण के समन्वित प्रयास का अभाव रहा । जो भी हो, उपरोक्त विवेचन हमें महावीर की निर्वाणस्थलो निश्चित करने हेतु अध्ययन की रूपरेखा प्रस्तुत करने में सहायक होता है । मैंने पावा-विषयक अनुसंधान हेतु जैन और बौद्ध साहित्य में पावा, मल्लराष्ट्र एवं इसके पड़ोसी देशों की भौगोलिक स्थिति, महावीर के चातुर्मास और बुद्ध की चर्या के परिप्रेक्ष्य में प्रारबुद्धकालीन एवं बुद्धकालीन मार्गों का, साहित्यिक के साथ-साथ परातात्त्विक साक्ष्यों के आधार पर अध्ययन को ग्रंथ का मुख्य आधार बनाया है। साथ ही निर्वाण-स्थली के रूप में विद्वानों द्वारा पावा के रूप में मान्य सभी नगरियों की स्थिति की भी समीक्षा की है। १. प्रो० मेहता मोहनलाल, प्राकृत प्रापर नेम्स खंड १, पृ० ४५१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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