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परिशिष्ट
पावा सम्भावित क्षेत्रफल
परिशिष्ट सं० १
पावा के सम्भावित क्षेत्रफल के विषय में विचार करना आवश्यक है । यह निर्विवाद सत्य है कि पावा एक समृद्धिशाली एवं विशाल नगर रहा है, जिसका क्षेत्रफल विस्तृत रहा है। पावा की विशालता के विषय में ठोस प्रमाण के अभाव में सिर्फ संभावना ही व्यक्त की जा सकती है । कृष्णानन्द' ने पड़रौना को 'पावा' के रूप में मान्यता प्रदान करते हुए. इसकी विशालता पर विचार किया है। उनका मत है कि पड़रौना के उपनगर छावनी के निकट टीले के समीपवर्ती क्षेत्र में पावा सम्बन्धित अनेक पुरातात्त्विक साक्ष्य उपलब्ध होना चाहिए। उनके अनुसार पावा का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत रहा है, जिसकी सीमा के अन्तर्गत पड़रौना से दक्षिणपूरब में झारमठिया, सठियांव फाजिलनगर, उस्मानपुर इत्यादि नगर सम्मिलित होना चाहिए ।
पावा की भौगोलिक स्थिति के विषय में महाभारत से महत्त्वपूर्ण सूचना प्राप्त होती है । महाभारत काल में दो मल्ल राज्य स्थापित रहें हैं : १ - मल्ल ( मुख्य मल्ल ) २ - दक्षिणी मल्ल | महाभारत में वर्णित है है कि पाण्डवों को इन्द्रप्रस्थ का राज्य प्राप्त होने के पश्चात् महाराज युधिष्ठिर ने अपने चारों भाइयों भीम, अर्जुन, सहदेव, नकुल को चारों दिशाओं में दिग्विजय के लिए भेजा । भीम ने पूर्व दिशा के राजाओं पर विजय प्राप्त किया था, इसी प्रसंग में मल्ल और दक्षिण मल्ल के राजाओं का उल्लेख प्राप्त होता है । मल्ल, पावा के मल्ल राज्य तथा दक्षिणी
१. वार्ता के आधार पर ।
२. ततो गोपालकक्षं च सोत्तरानपि कोसलान ।
मल्लानामधिपं चैव पार्थिवं चाजयत् प्रभुः ॥ ३ ॥ ततो दक्षिणमल्लांश्च भोगवन्तं च पर्वतम् । तरसैवाजयद् भीमो नातितीव्र ेण कर्मणा ॥ १२ ॥
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— लेखक
(सभापर्व - दिग्विजय पर्व महाभारत पृष्ठ संख्या ७५० )
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