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२०६ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श
मल्ल, कुशीनगर के मल्ल राज्य को उद्बोधित करता है। यदि पावा के अन्तर्गत झारमठियाँ, सठियांव-फाजिलनगर, उस्मानपुर इत्यादि नगरों का क्षेत्र सम्मिलित होता तो, पावा का क्षेत्र उत्तर की अपेक्षा दक्षिण, दक्षिण-पूरब की ओर अधिक विस्तृत दृष्टिगोचर होता। यदि पावा की ऐसी भौगोलिक स्थिति रही होती तो, महाभारत काल में कुशीनगर के मल्ल राज्य को दक्षिणी मल्ल के स्थान पर किसी दूसरी दिशा से सम्बोधित किया गया होता। ___ बुद्धकाल में पावा एवं कुशीनगर की भौगोलिक स्थिति के विषय में विस्तृत सूचना प्राप्त होती है। बौद्ध साहित्य में कुशीनगर से पावा की दिशा और दूरी स्पष्ट रूप से दी गयी है । जैसा पहले उल्लेख किया गया है, कुशीनगर से पावा ३ गव्यूति ( १२ मील) की दूरी पर गण्डक की ओर स्थित था । यदि पावा के परिप्रेक्ष्य में पड़रौना के साथ-साथ झारमठिया, सठियाँव-फाजिलनगर, उस्मानपुर इत्यादि नगरों के क्षेत्रफल पर विचार किया जाए तो ज्ञात होगा कि इसका क्षेत्रफल लगभग १४० वर्ग कि० मी० होना चाहिए जैसाकि बौद्धकालीन सम्भावित मार्ग के मानचित्र से ज्ञात होता है। इस परिस्थिति में पावा की तुलना में कुशीनगर आकार एवं क्षेत्रफल में नगण्य दृष्टिगोचर होगा, जिसकी सम्भावना बहुत कम लगती है। उपयुक्त तथ्यों के आधार पर कृष्णानन्द के विचार तर्क संगत प्रतीत नहीं होते हैं। बुद्धकालीन मल्लराष्ट्र एक विशाल राष्ट्र रहा है, इसकी सम्भावना अधिक है कि झारमठिया, श्रेष्ठिग्राम (सठियाँव) उस्मानपुर इत्यादि मल्लराष्ट्र में प्रसिद्ध नगर रूप में स्थापित रहें होंगे । वस्तुतः जैसा सम्भावित पावा क्षेत्र परिसीमा के मानचित्र में प्रदर्शित किया गया है, पावा का सम्भावित क्षेत्रफल लगभग ३२.५५ वर्ग कि०मी० रहा होगा।
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