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________________ १८६ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श विद्यमान कई नालों से विदित होता है । इनमें वर्षाकाल में अब भी पानी भर जाता है । इस समय कुशीनगर के पश्चिम में निकट ही एक नाला दृष्टिगोचर होता है । कुशीनगर का मुख्य आकर्षण महापरिनिर्वाण मंदिर एवं स्तूप है । यह धरातल से २.७५ मी० ॐचे विशाल चबूतरे पर है, । महापरिनिर्वाण मन्दिर निर्माण कला की दृष्टि से सुन्दर एवं अनुपम है । इसके अन्दर लाल प्रस्तर की पीठिका पर बुद्ध की कलात्मक २० फुट लम्बी प्रतिमा शयन मुद्रा में (उत्तर मस्तक एवं पैर दक्षिण, दाहिने करवट लेटी हुई ) स्थापित है । इस प्रतिमा से निर्वाण कालीन शान्ति फूट-फूट कर निकलती हुई प्रतीत होती है । प्रतिमा की पीठिका की लम्बाई २३ ९", चौड़ाई ५ ' ६', व ऊँचाई १' १” है । इसको विशेषता यह है कि पीठिका सहित विशालमूर्ति एकही लाल प्रस्तर से निर्मित है। पीठिका के अग्रभाग की ओर ३ लघु प्रतिमाएँ उत्कीर्ण हैं जिनके विषय में भिन्न-भिन्न विद्वानों के अलग-अलग मत हैं । डा० राजबली पाण्डेय' के अनुसार पीठिका में आगे की ओर बुद्ध के पट्ट शिष्य आनन्द, बुद्ध के निर्वाण के ठीक पहले बौद्धधर्म की प्रव्रज्या लेनेवाले यति सुभद्र तथा तत्कालीन मल्लराजा ( सभापति ) वज्रपाणि की मूर्तियाँ अंकित हैं । इन मूर्तियों के अतिरिक्त पाँच मूर्तियाँ और हैं जिनको पहचान करना कठिन है | पीठिका के नीचे डी० आर० पाटिल को मानव को तीन मूर्तियाँ दृष्टिगोचर हुई थीं, इनके अनुसार बायें ओर की बिखरे केश वाली नारी की मूर्ति शोकाकुल मुद्रा में झुकी हुई है जिसके दोनों हाथ भूमि पर टिके हुए हैं, दाहिने ओर की मूर्ति नर की है या नारी की स्पष्ट नहीं है । वह अपनी दाहिनी हथेली पर सिर टेक कर बैठी हुई है । बीच की मूर्ति पुरुष की है, जो ( आसन मुद्रा में ) बुद्ध के विशाल महापरिनिर्वाण मूर्ति के सामने बैठी दुई दृष्टिगोचर होती है । शोकाकुल इन तीनों मूर्तियों की पहचान कठिन है लेकिन मध्य में स्थित नर की मूर्ति प्रतीत होती है । इसे डा० राजबली पाण्डेय ने सुभद्र की इसके ठीक नीचे उत्कीर्ण है कि हरिबल की मूर्ति मूर्ति मानी है । देयधमोऽयं महाविहारे स्वामिनो हरिबलस्य । प्रतिमा चेयं घटिता दिने ( ) मासु माथुरेण || १. डा० पाण्डेय, राजबली, गोरखपुर जनपद और उसकी क्षत्रिय जातियों का इतिहास, पृ० १७२ | २. पाटिल, डी० आर०, कुशीनगर, पृ० २० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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