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________________ पावा मार्ग अनुसंधान : १८३ राजधानी अथवा उपधौलिया डीह के विषय में फ्यूरर' ने गोरखपुर जनपद की सदर तहसील के हवेली परगना के अन्तर्गत वरही ग्राम को केन्द्र मानकर विस्तृत विवेचन किया है। जिला मुख्यालय से वरही १३ मील उत्तर-पूर्व राप्ती नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है। इन्होंने बुकनन, कनिंघम, कार्लाइल की भाँति उपधौलिया डीह को पिप्पलिवन माना है । इसके निकट दक्षिण-पूर्व के कोने पर एक और खण्डित स्तुप है जो लगभग १७' ऊँचा है। ___ डा० राजबली पाण्डेय ने पिप्पलिवन, उपधौलिया डीह एवं राजधानी का वर्णन करते हुए कार्लाइल के मत की पुष्टि की है। उन्होंने यह भी बताया है कि राजधानी के उत्तर-पूर्व में सहनकोट नाम से विख्यात फरेन्द्र नदी के तट पर एक आयताकार प्राचीन दुर्ग जंगलों के बीच स्थित है । यह फरेन्द्रा से राप्ती तक फैला हुआ है। यह विस्तृत डोह एक ही प्राचीन नगर का भग्नावशेष है। इसे आज भी राजधानी सम्बोधित किया जाना स्पष्ट रूप से प्रमाणित करता है कि प्राचीन काल में यह किसी राज्य की राजधानी थी। उपाध्याय पिप्पलिवन के शब्द-ध्वनि साम्य के आधार पर, एक ओर जहाँ पिपरहवाँ को पिपलिवन सिद्ध करने का प्रयास करते हैं, वहीं दूसरी ओर उपधौली के पिप्पलिवन होने की सम्भावना व्यक्त करते हैं। इस प्रकार उपयुक्त अध्ययन से स्पष्ट है कि गोरखपुर जनपद के सदर तहसील में स्थित वर्तमान उपधौलिया, धानी या राजधानी ग्राम ही मोरियों की राजधानी पिप्पलिवन है और जिसकी पुष्टि कनिंघम, कार्लाइल, फ्यूरर, और राजबली पाण्डेय ने की है। कुशीनारा - यह देवरिया जनपद में पडरौना तहसील के अन्तर्गत देवरिया से ३५४१ किमी० उत्तर-पूर्व में, पडरौना से दक्षिण-पश्चिम में १९ किमी० पर एवं गोरखपुर से ५५ किमी० पूरब में Lat 26° 45° N और Long 85° 55 E पर स्थित है। १. फ्यूरर, द मानुमेण्ट ल, एण्टीक्विटीज एण्ड इंस्क्रिप्शन्स इन नार्थ वेस्टर्न प्राविसेज एण्ड अवध, पृ० २३७-३८ । २. डा० पाण्डेय, राजबली, गोरखपुर जनपद और उसकी क्षत्रिय जातियों का इतिहास, पृ० ७३-७४। ३. उपाध्याय, भरत सिंह, बुद्ध कालीन भारतीय भूगोल-पृ० ३१४-३१५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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