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________________ १७६ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श लखनऊ संग्रहालय की सूचना के अनुसार स्तम्भ के खण्डित शीर्ष भाग का रजिस्ट्रेशन नं० ५५,२८४ है और यह बाँसी से प्राप्त अशोक स्तम्भ के सिंह का मुख्य खंडित अंश (फ्रेगमेण्ट ऑफ एन अशोक लायन कैपिटल फ्राम बाँसी ) है। खंडित सिंह की पंछ तथा दोनों पैर के पंजे दष्टिगोचर होते हैं। साथ ही खण्डित कमल की धारियाँ तथा इसकी पंखुड़ियाँ भी दिखलाई देती हैं। गाइल्स के अनुसार अशोक स्तम्भ इस वन के उस स्थल को सूचित करता था, जहाँ बुद्ध अपने पिता श्री शुद्धोधन से मिले तथा उन्हें उपदेश दिया था। चीनी यात्रोव नसांग ने वन में जिस अशोक स्तम्भ को देखा था, वह वन निकूक्तु-या न्यग्रोधाराम (निग्रोधाराम) बिहार था, जहाँ महात्मा बुद्ध ने प्रथम बार कपिलवस्तु आने पर और उसके बाद कई अवसरों पर विश्राम और निवास किया था। वह वन कपिलवस्तु से दक्षिण में ३ या ४ ली० की दूरी पर स्थित है। उस समय के घनघोर जंगलों के कारण दूरी का स्पष्ट अनुमान लगाना कठिन था जबकि जंगली सीमा दूर तक फैली हुई थी। विशेष बात यह है कि कपिलवस्तु बुद्धकाल में एक विशाल नगर रहा है। अतः इसकी सीमा भी विस्तृत रही होगी। इसकी सम्भावना अधिक है कि ह्वेनसांग ने जिस दूरी का वर्णन किया है वह मात्र अनुमानित हो। उपर्युक्त अध्ययन से स्पष्ट है कि बुद्धकाल में बाँसी से कपिलवस्तु, लुम्बिनी एवं रामग्राम को मार्ग जाते रहे हैं । बाँसी रामग्राम (गोरखपुर) मार्ग पर नन्दौर, बखिरा, कोपिया, मगहर इत्यादि प्रमुख नगर स्थित हैं। मगहर के समीपवर्ती क्षेत्रों में स्तूपों एवं टीलों की बहुलता है । कारर्लाइल' के सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि महाथानडीह मगहर से लगभग २५ मील दक्षिण-पश्चिम, अर्थात अर्द्ध-पश्चिम दिशा में, लक्ष्मीपुर गाँव से लगभग १ मील उत्तर तथा आमी ( अमोना) नदी के तट पर स्थित तामेश्वर से ४ मील उत्तर-पूर्व में स्थित है। यहीं पर विशाल खण्डहरों का टीला है। जिस पर तामेश्वरनाथ का मन्दिर है। यहाँ पर राजकुमार सिद्धार्थ के अश्व ने छलाँग लगाकर आमी नदी पार किया था, जिससे इसे कुदवा नदी भी कहते हैं। महाथान, सिरसरा ताल के पूर्वी तट पर तथा १. गाइल्स, एच० एच०-ट्रैवेल्स आव फाह यान, पृ० ३७ । २. कार्लाइल, ए० सी०-आर्कियोलाजिकल सर्वे आव इण्डिया रिपोर्ट आन इस आव गोरखपुर, सारण, गाजीपुर, वा० XXII, पृ० ३-६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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