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________________ पावा मागं अनुसंधान : १७५ वस्तु और श्रावस्ती के बीच की दूरी ५०० ली० अर्थात् ८३ मील है जो वर्तमान सहेत - महेत और पिपरहवा की दूरी से मेल खाती है । अतः इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि सहेत - महेत से पिपरहवा का प्राचीन बुद्धकालीन मार्ग सम्भवतः बलरामपुर उतरौला सोहरतगढ़ पल्टादेवी होकर ही जाया करता था । बाँसी बुद्धकालीन प्रमुख मार्गों में से एक श्रावस्ती - कुशीनगर मार्ग पर कपिलवस्तु, रामग्राम, पिप्पलीवन आदि नगर स्थित थे । वस्तुरामग्राम के मध्य स्थित नगरों में बस्ती जनपद के बाँसी नगर की स्थिति महत्वपूर्ण है । बाँसी कपिलवस्तु से ४३ किमी० दक्षिण-पश्चिम तथा रामग्राम से ५५ किमी० उत्तर-पश्चिम स्थित है । बाँसी राप्ती नदी के किनारे है । पहले यह नदी नगर के दक्षिण से बहती थी किन्तु अब उत्तर से बहती 'है । कनिंघम' के अनुसार बॉस की बहुलता के कारण इस क्षेत्र से बहने - वाली नदी को वेणू अथवा बांसी नदी की संज्ञा दी गई होगी, तथा इस नगर का नाम भी बाँसी पड़ा होगा । सम्भव है महापुरुषों के वास करने के कारण नगर को बाँसी कहा गया हो । प्राचीन मार्ग निर्धारण में बाँसी के अशोक स्तम्भ की महत्वपूर्ण भूमिका है । वासुदेव शरण अग्रवाल ने इस स्तम्भ की स्थिति महादेवा नामक ग्राम में स्वीकार की है । महादेवा ग्राम बाँसी - गोरखपुर मार्ग पर बाँसी से ४.५ किमी० दक्षिण में बसा हुआ है । वास्तव में अशोक स्तम्भ महादेवा में निर्मित रहा है । जहाँ तक इस स्तम्भ की वर्तमान दशा का प्रश्न है, आर० सी० गौड़ के अनुसार " यह खण्डित है । इसका शीर्ष भाग लखनऊ पुरातत्त्व संग्रहालय में सुरक्षित है । इसके शीर्ष भाग की सिंह - आकृति नष्ट हो चुकी है । इसके निचले भाग पर ( अधोमुखी) पर कमलपुष्प का एक तरफ का कुछ अंश खण्डित है । स्तम्भ का शेष भाग बाँसी ( महदेवा ) आज भी है लोग इसे शिवलिंग के रूप में पूजते हैं। इस पर तेल, सिंदूर का अधिक लेप होने से यह ज्ञात होना कठिन है कि उत्कीर्ण शिलालेख वाला भाग यही है या इस क्षेत्र में कहीं अन्यत्र पड़ा होगा या नष्ट हो गया होगा । १. कनिंघम, ए०, एंश्येण्ट ज्याग्रफी आव इण्डिया, पूर्वोक्त, पृ० ३५९ । २. १५ जनवरी १९८८ के पत्र के आधार पर । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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