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१६८ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श कपिलवस्तु, रामग्राम, पिप्पलीवन, कुशीनारा, पावा ( पड़रौना ), लौरिया, नन्दनगढ़, लौरिया अरेराज, केसरिया, कोल्हुआ इत्यादि स्थानों की जानकारी मिलती है। इनका उल्लेख बावरि के शिष्यों के यात्रा-प्रसङ्ग में तथा महापरिनिर्वाण सूत्र में उपलब्ध महापरिनिर्वाण से पूर्व बुद्ध की यात्रा के विवरण से मिलता है। बुद्ध का वैशाली से श्रावस्ती आवागमन इसी मार्ग से हुआ करता था। यह मार्ग प्राचीन था एवं राजनैतिक, धार्मिक व्यक्ति एवं व्यापारी इसी मार्ग से यात्रा करते थे। इस मार्ग पर शाक्यों को राजधानी कपिलवस्तु स्थित थी। बुद्ध लुम्बिनी में जन्म लिये थे। लुम्बिनी कपिलवस्तु से १० मील उत्तर-पूर्व में स्थित है। बुद्धकाल में लुम्बिनी से कपिलवस्तु तक राजमार्ग था। लुम्बिनी
नेपाल स्थित बुद्ध के जन्म स्थल लुम्बिनी को स्थानीय लोग रोमिनदेई कहते हैं । यह नेपाल के लुम्बिनी अंचल का केन्द्र स्थल है। रुम्मिनदेई, पूर्वोत्तर रेलवे के नौतनवा रेलवे स्टेशन से १५ किलोमीटर पश्चिम में है। लुम्बिनी ( रुम्मिनदेई ) से पिपरहवा २५ किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम की दिशा में उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर जनपद में नेपाल देश की सीमा से सटा हुआ है जिसकी पहचान प्राचीन कपिलवस्तु से की गई है। यह बुद्ध के पिता राजा शुद्धोधन की राजधानी थी। ___यहाँ स्थित अशोक स्तम्भ का अनुसंधान पयूरर ने दिसम्बर १८९६ में किया था। यह नील सागर स्तम्भ से १३ मील दक्षिण-पूर्व नेपाल की तराई में स्थित है। यह स्तम्भ पड़रिया नामक ग्राम से लगभग १ मोल उत्तर तथा सिद्धार्थनगर जनपद के दूल्हा नामक ग्राम से लगभग ५ मील उत्तर-पूर्व की ओर स्थित है। इसकी ऊँचाई २९' है। अन्य अशोक स्तम्भों की अपेक्षा यह ऊँचाई कम है । यह ईंटों की वेदिका से घिरा है।
लुम्बिनी का अशोक स्तम्भ आज भी निर्विवाद रूप से घोषणा कर रहा है कि
१. देवानंपियेन पियदसिन लाजिन वीसति वसाभिसितेन २. अतन अगाय महोयते हिद वुधे जाते सक्यमुनी ति (१) ३. सिला विगडभीचा कालापित सिलाथभे च उसपापिते ४. हिद भगवं जाते ति (२) लुमिनीगामे उबलिके कटे ५. अठभागिये च (३) .
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