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पावा माग अनुसंधान : १६५
डी० आर० पाटिल' का कथन है कि लौरिया अरेराज अशोक स्तम्भ के ६ अभिलेखों के समान ही इस पर भी अभिलेख अंकित हैं जो सुरक्षित हैं । लौरिया नन्दनगढ़ के अभिलेख का लौरिया अरेराज की भाँति हल्टजर ने अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया है !
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डा० राजबली पाण्डेय के अनुसार लौरिया अरेराज अभिलेख को भाँति इस अभिलेख का भी ब्यूलर ने जर्मन और अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया है ।
इस स्तम्भ पर अशोक अभिलेख के अतिरिक्त नागरीलिपि में दो अन्य अभिलेख भी अंकित हैं, जिसके विषय में कनिंघम के मत के आधार पर डी० आर० पाटिल " का कथन है कि एक अभिलेख विक्रम संवत् १५६६ ( ए० डी० १५०९ ) का अंकित है। दूसरे अभिलेख से उज्जैन के नरेश नारायण के पुत्र राजा अमर सिंह तथा उज्जैन के क्षत्रियपति के पुत्र महासिंह के विषय में वर्णन प्राप्त होता है । लेकिन यह किस वर्ष में उत्कीर्ण हुआ है, इसका संकेत नहीं मिलता है ।
कनिंघम के अनुसार नन्दनगढ़ के अशोक स्तम्भ पर अशोक के अतिरिक्त मुगल सम्राट् औरंगजेब का भी अभिलेख है जिसका डी० आ० र० पाटिल ने विस्तार से वर्णन किया है इसके दक्षिणी भाग पर ए० एच० १०७१ ( ए० डी० १६६०-६१ में ) फारसी में एक अभिलेख उत्कीर्ण है । यह सम्राट् औरंगजेब के बारे में है । सम्भवतः मीर जुमिला ईर्षालु था कि उसने स्तम्भ के शीर्ष भाग पर तोप से गोला फेंका था, जिसके चिह्न आज भी दृष्टिगोचर होते हैं। डी० आर० पाटिल का कथन है कि for बोरो ने कोल्हुआ एवं लौरिया अरेराज के अशोक स्तम्भों की भाँति
१. पाटिल, डी० आर०, एण्टीक्वेरियन रिमेन्स इन बिहार, पृ० २३३ । २. इंस्क्रिप्शन्स आव अशोक, पृ० १४५-१५० ।
३. डा० पाण्डेय, राजबली, अशोक अभिलेख, पृ० ११ ।
४. कनिंघम, ए०, इंस्क्रिप्शन्स आव अशोक, पृ० १४५-१५० इण्डोलाजिकल बुक हाउस, वाराणसी १९६१ ।
५. पाटिल, डी० आर०, एण्टीक्वेरिय रिमेन्सन इन बिहार, पृ० २३५ ।
६. कनिंघम, ए० इंस्क्रिप्शन्स आव अशोक, पृ० ४१ ।
७. पाटिल, डी० आर०, एण्टीक्बेरियन रिमेन्स इन बिहार, पृ० २३५ । ८. वही, पृ० २३५ ॥
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