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________________ १६४ : महावीर निर्वाणभूमि पात्रा : एक विमर्श व्यास २६:२" था एवं अन्य शीर्ष भाग की आकृतियाँ कोल्हुआ स्तम्भ के सदृश थीं । लौरिया नन्दनगढ़ के अशोक स्तम्भ की विशेषता यह है कि वर्गाकार प्रस्तर के, जिस पर सिंह आकृति निर्मित थी, चारों ओर एक दर्जन भिक्षुणियाँ गर्दन झुकाए हुए पंक्तिबद्ध रूप में सिंह की परिक्रमा करती हुई अंकित हैं । अन्य दूसरे अशोक स्तम्भों की तुलना में यह अशोक स्तम्भ अधिक सुन्दर एवं आकर्षक है तथा कोल्हुआ एवं अरेराज के अशोक स्तम्भों की तुलना में इसका भार कम है। कनिंघम' ने पालिशयुक्त अशोक स्तम्भ के भाग का वजन १८ टन अनुमान किया है । इनके सर्वेक्षण के अनुसार जनश्रुति में इसे भीम मारी कहा जाता है तथा इसकी पूजा की जाती है । १८८० में कार्लाईल ने अशोक स्तम्भ की नींव तक उत्खनन करवाया था । भूमि के अन्दर १०' से कुछ अधिक गहराई तक उन्होंने उत्खनन करवाया । उस समय उन्हें ७४ वर्गाकार प्रस्तर दृष्टिगोचर हुआ था, जिस पर अशोक स्तम्भ स्थापित था । यह प्रस्तर खण्ड अशोक स्तम्भ के चारों ओर २.२" बाहर की ओर निकला था । वर्गाकार समतल प्रस्तर के चारों ओर मजबूती के लिए, लम्बे शाल के बल्ले गड़े हुए थे । धरातल के लगभग २' नीचे अशोक स्तम्भ पर मुद्रिका सदृश २" मोटी परिधि निर्मित थी । इससे थोड़ा और नीचे ४" लम्बा मोर उत्कीर्ण था, जिसे उन्होंने मोरिय या मौर्यों का प्रतीक माना है । मुद्रिकाकार गोलाई के कुछ नीचे तक स्तम्भ चमकीला था, उसके नीचे के स्तम्भ का कुछ भाग खुरदुरा तथा 'छनो मास' के चिह्न से युक्त था । आधारभूत वर्गाकार प्रस्तर तथा स्तम्भ के मध्य कुछ रिक्त स्थान था, जिसमें वे चाकू के फल को घुसाने में सफल हुए थे । इस विषय में राजबली पाण्डेय का मत है कि लौरिया नन्दनगढ़ के अशोक स्तम्भ के शीर्ष भाग पर सिंह की स्वाभाविक रूप में उत्तराभिमुख खड़ी प्रतिमा निर्मित है तथा अशोक स्तम्भ के कंठ पर राजहंसों की पंक्तियाँ मुक्ताओं को चुभगती हुई दिखलाई गई है । १. वही, पृ० ७४-७५ । २. आर्कियोलोजिकल सर्वे आव इण्डिया, रिपोर्ट आव टूर्स इन गोरखपुर, सारण, गाजीपुर, पृ० ४६-४७ । ३. डा० पाण्डेय, राजबली, अशोक अभिलेख, Jain Education International पृ० ११ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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