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१६२ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श १/२ मील पर निर्मित है। इस पर लौरिया अरेराज स्तम्भ की भाँति चमकीले बलुए प्रस्तर पर सम्राट अशोक को राजाज्ञाएँ एवं धर्मोपदेश उत्कीर्ण हैं। स्तम्भ पर कोल्हुआ के सदृश सिंह की स्वाभाविक एवम् आकर्षक प्रतिमा, चौकोर प्रस्तर पर निर्मित है, जिसके नीचे घंटीनुमा प्रस्तर पर कमल की पंखुड़ियाँ उत्कीर्ण हैं । जनश्रुति के आधार पर इस स्तम्भ को भीम की लाठी पुकारा जाता है।। ___ आरम्भ से ही लौरिया अरेराज का अशोक स्तम्भ एवं उसके निकटवर्ती प्राचीन टीले यात्रियों, विद्वानों एवं पुरातत्त्ववेत्ताओं के आकर्षण के केन्द्र रहे हैं, जिसका विवरण समय-समय पर पुरातात्विक रिपोर्ट तथा अन्य पत्रिकाओं में देखने को मिलता है। लौरियानन्दनगढ़ के अशोक स्तम्भ एवं प्राचीन टीलों का उल्लेख जरनल ऑफ एशियाटिक सोसाइटी आफ बंगाल', अकियोलाजिकल सर्वे आफ इण्डिया की रिपोर्ट, स्टेस्टिकल एकाउन्टर, बंगाललिस्ट, जरनल आफ रायल सोसायटी आफ ग्रेट ब्रिटेन एण्ड आयरलैण्ड', बिहार डिस्ट्रिक्ट गजेटियर', कुरेशी लिस्ट एवं आर्कलाजी इन इण्डिया में उपलब्ध है। - लौरिया ग्राम के निकट नन्दनगढ़ के किले के भग्नावशेष तथा टीलों को शृंखलाएँ दिखाई देती हैं। इस ग्राम के प्राचीन भग्नावशेष की ओर १८३५ में हडसन' आकर्षित हुए थे। इसे उन्होंने मठिया का अशोक स्तम्भ सम्बोधित किया, क्योंकि उस समय लगभग ५ मील दक्षिण१. जरनल आफ एशियाटिक सोसाइटी आफ बंगाल, हडसन १८३५, पृ० १२६ २. (अ) आर्कलाजिकल सर्वे आफ इंडिया, कनिंघम, वैलूम १, पृ० ६८ (ब) गैरिक ( कनिंघम ), आर्कलाजिकल सर्वे आफ इण्डिया, रिपोर्ट XVI
पृ० १०४ ३. स्टैटिस्टिकल एकाउण्ट, खण्ड XIII, पृ० २५४-२५५ ४. बंगाल लिस्ट, पृ० ३८० ५. जरनल आव रायल एशियाटिक सोसाइटी आव ग्रेट ब्रिटेन एण्ड आयरलैंण्ड,
१९०२ ६. बिहार डिस्ट्रिक्ट गजेटियर, पृ० १६१-१६२ ७. कुरेशीलिस्ट पृ० ९, १६ । ८. घोष, ए०, आर्कियोलाजी इन इण्डिया, पृ० ६०-६१, नई दिल्ली, पृ० १९५०
लौरिया ग्राम के निकट नन्दनगढ़ के प्राचीन किले के भग्नावशेष १. हसन-जरनल आव एशियाटिक सोसाइटी आव बंगाल, पृ० १२६, कलकत्ता
१८४७,
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