________________
१५६ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श २०० ली ( लगभग ३३ मील ) स्वीकार किया है। ह्वेनसांग की यात्रा के समय यहाँ एक प्राचीन नगर का खण्डहर रहा है जो शताब्दियों से उपेक्षित था।
केसरिया के टीले का उल्लेख जर्नल आफ एशियाटिक सोसाइटी आफ बंगाल', आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इण्डिया रिपोर्ट२, बंगाल लिस्ट, बिहार डिस्ट्रिक्ट गजेटियर्स तथा कुरेशी लिस्ट में उपलब्ध है। १९वीं शताब्दी के आरम्भ से ही विद्वानों एवं पुरातत्त्ववेत्ताओं का ध्यान केसरिया टीले को ओर आकर्षित होता रहा है। १८१४ में कर्नल मेकेन्जी के निर्देशन में इसका उत्खनन हुआ। यह उत्खनन पूर्व से केन्द्र तक हुआ, जिसके फलस्वरूप उन्हें एक गलियारा दृष्टिगोचर हुआ। इस उत्खनन के विषय में विस्तृत विवरण अप्राप्त है। १८३५ में हंग्सन ने इस खण्डहर का रेखाचित्र तैयार कर प्रकाशित करवाया, उससे भी कोई विशेष सूचना प्राप्त नहीं होती है।
१९६१-१९६५ में कनिंघम ने इस टीले का निरीक्षण एवं सर्वेक्षण कर अपने निर्देशन में उत्खनन करवाया। उस समय इस टीले की ऊँचाई ६२ तथा परिधि १४०० था। इस टीले पर ६८.५" व्यास तथा लगभग ५१.६" ऊँचा ईंटनिर्मित स्तप का भग्नावशेष था। उनकी धारणा थी कि वास्तविक स्तूप की ऊँचाई कभी ८०-९०' तथा सम्पूर्ण टीले और स्तूप की ऊँचाई धरातल से १५० से कम नहीं रही होगी। टीले की परिधि एवं आधार के सम्बन्ध में उनका अनुमान है कि इस टीले के अन्दर १६०' व्यास तथा १००' ऊँचा एक और विशाल स्तूप होना चाहिए। इस स्तूप
१. जर्नल आव एशियाटिक सोसायटी आव बंगाल, पृ० १२१, प्लेट VII २. कनिंघम ए०, आकियोलाजिकल सर्वे आफ इण्डिया रिपोर्ट खंड १, पृ० ६४
६७ व खंड १६, पृ० १६-१९ ।। ३. लिस्ट आव मानुमेण्ट्स आव बंगाल, पृ० ३७६ । ४. बिहार डिस्ट्रिक्ट गजेटियस, पृ० १५९-६० । ५. कुरेशी लिस्ट-लिस्ट आव ऐश्येण्ट मानुमेण्ट्स, पृ० ४, न्यू इम्पीरियल
सिरीज खंड १ एल १ १९३१ । ६. जर्नल आव एशियाटिक सोसायटी आव बंगाल, पृ० १२१ प्लेट VIII ७. कनिंघम, ए०, आकियोलाजिकल सर्वे आव इण्डिया रिपोर्ट, खंड १,
पृ० ६४-६७ व खंड १६, पृ० १६-१९ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org