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पावा मार्ग अनुसंधान : १५५ सामग्री का पता लगाने के लिए समय-समय पर अनेक बार निरीक्षण, सर्वेक्षण एवं उत्खनन किया गया। इन प्रयासों से यही निष्कर्ष निकला कि इस पर मानव तथा पशु आकृतियों, चक्र एवं नान्दो के प्रतीकात्मक अंकन के अतिरिक्त कुछ भी अंकित नहीं है। कनिंघम' को १९६१-६२ के उत्खनन के समय स्तम्भ के निचले भाग में घोंघे सदश कुछ विचित्र उत्कीर्ण की गई आकृतियां दृष्टिगोचर हुईं, परन्तु इनके विषय में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी । इस स्तम्भ पर नागरी लिपि में यात्रियों द्वारा कुछ अंकन किए गए हैं। अंग्रेजी में भी जी० एस० बारलो ( १७८०) तथा रोविन बुरो ( १९७२ ) के दो अंकन हैं। ___ कोल्हुआ के अशोक स्तम्भ के निकट १७९६-७८ में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा १०००' x ६००' x७° ऊँची भूमि के उत्खनन के फलस्वरूप एक विशाल स्तूप एवं अनेक मनौती स्तूप ( वोटिक स्तुप ) मिले थे। इस उत्खनन से प्राचीन स्तूप के निर्माण के विभिन्न चरणों का पता चलता है। स्तूप के निर्माण के प्रथम चरण में चूने का पलस्तर किया गया था। द्वितीय चरण में स्तूप के प्रदक्षिणा पथ को छोटा कर दिया गया था। उत्खनन से बुद्ध की मुखाकृति की सुन्दर कलात्मक प्रतिमा भी प्राप्त हुई थी। इसके अतिरिक्त अशोक स्तम्भ के दक्षिण में रामकुण्ड है जो २००' x १४०' का है। पार्ववर्ती भाग में अन्य कई टोले दृष्टिगोचर होते हैं। ___ केसरिया वैशाली ( वसाढ़ ) से ३० मोल उत्तर पश्चिम दिशा में २३.२ अक्षांश एवं ८४.५२ देशान्तर पर केसरिया नामक महत्त्वपूर्ण ग्राम स्थित है। ग्राम से लगभग दो मील दक्षिण मार्ग के पूरब अनेक टीलों के मध्य एक विशाल स्तूप दृष्टिगोचर होता है। वोल के अनुसार फाह्यान ने केसरिया से वैशाली की दूरी ५ योजन ( ३५ मील ) एवं केसरिया से कुशीनगर की दूरी १२ योजन ( ८४ मील ) माना है। थामस वाटर्स ने ह्वेनसांग की यात्रा के आधार पर केसरिया की स्थिति वैशाली से
१. कनिंघम ए० आर्कियोलाजिकल सर्वे आव इण्डिया रिपोर्ट खण्ड १, १८६१
पृ० ५८-६४ । २. वील, सैमुएल, फाह्यान ट्रैवल इन द वैशाली रिजन, पृ० ३२८, वैशाली
अभिनन्दन ग्रन्थ । ३. वाटस, थामस, आन ह्वेनसांग ट्रेवल्स इन इण्डिया पृ० ६३-७९ ।
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