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________________ १५४ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श करवाया । इसमें उन्होंने १७८४ के लाहा के लेख का भी विवरण दिया है । प्रिन्सेप ने इस निबन्ध में हग्सन के रेखांकित चित्र को भी प्रस्तुत किया है । इसमें उल्लिखित जनश्रुतियों से ज्ञात होता है कि स्टीफेन्सन के वहाँ जाने के कुछ वर्ष पूर्व एक बंगाली सज्जन ने गुप्तधन प्राप्त करने के उद्देश्य से इस स्तम्भ के निकट उत्खनन करवाया, परन्तु वे बर्बाद हो गये इसी प्रकार एक अन्य अंग्रेज सज्जन ने भी स्तम्भ की नींव तक खोदने का प्रयास किया, उन्हें भी अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा । वहाँ को जनता में अन्धविश्वास है कि यह चमत्कारी स्तम्भ है । स्टीफेन्सन सर्वेक्षण के समय एक वैरागी को उस स्तम्भ के समीप देखा था जो उसकी उपासना किया करता था । १८६१ में कनिंघम' ने भी ३० वर्षीय एक संन्यासी को इस स्तम्भ के सन्निकट निवास करते हुए देखा था । कनिंघम द्वारा प्रस्तुत माप के अनु-सार इस स्तम्भ की लम्बाई आंगन के धरातल से १८' है । घण्टी सदृश कमलाकार प्रस्तर तथा ठीक उसके ऊपर के वर्गाकार प्रस्तर की ऊँचाई. क्रमशः २' १०", एवं १" तथा सिंह की ऊँचाई ३.६" है । इस प्रकार सम्पूर्ण अशोक स्तम्भ की ऊँचाई २५ ' ४ थी । इन्होंने इस स्तम्भ की नींव तक उत्खनन कराने का प्रयास किया, लेकिन १४' नीचे तक उत्खनन होते ही जल की सतह प्राप्त हो जाने के कारण उसके नीचे उत्खनन नहीं हो सका । स्तम्भ के ऊपरी भाग की भांति अधोभाग भी उन्हें पालिश किया हुआ दिखाई दिया था । उनका अनुमान था कि १४' खुदाई के अतिरिक्त ४१" और गहरा होना चाहिये । इस प्रकार उनके अनुसार अशोक स्तम्भ की सम्पूर्ण ऊँचाई ४३' ५" या इससे अधिक होनी चाहिये । जल तक इस स्तम्भ का व्यास ४९' ८" तथा शीर्ष भाग का व्यास ३८' ७" था । सम्भ-वतः यह स्तम्भ नींव के कमजोर एवं अधिक भारी होने के कारण ४" से ५" तक पश्चिम की ओर झुका हुआ है। कनिंघम का मत है कि उसने जितने भी सिंहयुक्त स्तम्भों का सर्वेक्षण किया है, उनमें यह सबसे अधिक भारी है, जिसका वजन ५० टन है । डी० आर० पाटिल के अनुसार अशोक स्तम्भ पर उत्कीर्ण किसी १. कनिंघम, ए० आर्कियोलाजिकल सर्वे आव इण्डिया रिपोर्ट खण्ड १ पृ० ५८, ६४ व खण्ड १६, पृ० १२, १६ । २. पाटिल, डो० आर०, एण्टीक्वेरियन रिमेन्स इन बिहार, पृ० २९०-२९९. के० पी० जायसवाल रिसर्च इंस्टीट्यूट पटना १९६३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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