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बुद्धकालीन मार्ग : १४९ था, जिस पर मागधपुर ( राजगृह), कोटिग्राम, नदिक या नादिका वैशाली, भण्डगाम, हत्थिगाम, अम्बगाम, जम्बुगाम, भोगनगर, पावा, कुशीनगर, पिप्पलीवन, रामगाम, कपिलवस्तु, सेतब्या, श्रावस्ती आदि नगर आते थे । महावीर और बुद्ध के श्रमण- जीवन में श्रावस्ती - राजगृह मार्ग का सर्वाधिक महत्त्व रहा है । इन महापुरुषों की चरिकाओं के कारण ही यह मार्ग गौरवान्वित हुआ है ।
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