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बुद्धकालीन मार्ग : १४७
इस विषय में विद्वानों में मतभेद है कि भोगनगर वज्जिसंघ में स्थित था अथवा मल्लराष्ट्र में । बी० सी० लाहा' का निश्चित मत है कि भोगनगर मल्लराष्ट्र में स्थित था । भरतसिंह उपाध्याय भी सम्भावना व्यक्त करते हैं कि पावा के अधिक समीप होने के कारण इसे मल्लराष्ट्र में ही मानना उचित होगा । किन्तु राहुल सांकृत्यायन', हेमचन्द्र रायचौधुरी ४ और मललसेकर" इसे वज्जिसंघ का अंग और नगर मानते हैं । मललसेकर के मत का समर्थन करते हुए योगेन्द्र मिश्र ' लिखते हैं कि वज्जिदेश स्थित भोगनगर में महापरिनिर्वाण से पूर्व पावा पहुँचने के पहले बुद्ध ने विश्राम किया था। भोगनगर गण्डक के तट पर स्थित था और भोगनगर से पावा जाने में बुद्ध को गण्डक नदी को पार करना पड़ा था । भोगनगर का वज्जिसंघ के अन्तर्गत होना और गण्डक के तट पर होना ही तथ्यपूर्ण प्रतीत होता है । वज्जिसंघ और मल्लराष्ट्र के भौगोलिक अध्ययन से भी यह बात स्पष्ट है कि गण्डक मल्लराष्ट्र और वज्जिसंघ की विभाजक रेखा थी ।
अतः इस विवेचन के आधार पर हम कह सकते हैं कि भण्डगाम, हथिगाम, अम्बगाम, जम्बुगाम और भोगनगर वज्जिसंघ के अन्तर्गत ही स्थित थे । बुद्ध महापरिनिर्वाण से पूर्व वैशाली से चलकर इन नगरों एवं ग्रामों से होते हुए गण्डक पार कर मल्लगणराज्य स्थित पावा पहुँचे, फिर पावा से कुशीनगर के लिए प्रस्थान किये ।
महापरिनिव्वाणसुत्त में बुद्ध के महापरिनिर्वाण के पश्चात् एक विशाल भिक्षु संघ के साथ भिक्षु महाकश्यप द्वारा पावा से कुशीनगर तक यात्रा करने का उल्लेख प्राप्त होता है । सुत्तनिपात में बावरि के शिष्यों के यात्रा वर्णन एवं महापरिनिव्वाणसुत्त से महापरिनिर्वाण पूर्व बुद्ध
१. लाहा, विमलचरण, ज्याग्रफी आव अर्ली बुद्धिज्म, पृ० २
२. उपाध्याय, भरत सिंह, बुद्धकालीन भारतीय भूगोल, पृ० ३२७
३. दोघनिकाय ( हि० ), पृ० ३२५
४. रायचौधुरी, हेमचन्द्र, पोलिटिकल हिस्ट्री ऑव नार्दर्न इण्डिया, पृ० ११८-२० ५. मललसेकर, जी० पी०, डिक्शनरी ऑव पालि प्रापर नेम्स, खं० २, पृ० ९३ ६. मिश्र, योगेन्द्र, एन अर्ली हिस्ट्री ऑव वैशाली, पृ० १९१-९२, दिल्ली,
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७. दीघनिकाय महापरिनिव्वाणसुस ( हि०), खण्ड २, पृ० १२४
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