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________________ १४६ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श बुद्ध अम्बगाम पहुँचे थे, इसके पश्चात् जम्बुगाम। अतः दोनों ग्रामों को भी वज्जि जनपद में ही मानना तर्कसंगत है। __भिक्षुधर्मरक्षित' के अनुसार इन ग्रामों का क्रम इस प्रकार है : भण्डगाम, जम्बु गाम, हथिगाम, अम्बगाम और भोगनगर । इन्होंने अम्बगाम को हस्थिगाम और भोजनगर के मध्य किस आधार पर बताया है, यह ज्ञात नहीं है। महापरिनिव्वाणसुत्त में ग्रामों का क्रम इस प्रकार है-भण्डगाम, हत्थिगाम, अम्बुगाम, जम्बुगाम और भोगनगर । भिक्षुधर्मरक्षित त्रिपिटकाचार्य ने अम्बुगाम और जम्बुगाम को बिहार राज्य के क्रमशः अमया और जमुनहीं नामक ग्राम से समीकृत करने का प्रयास किया है। नामसाम्य के विचार से इसे उचित माना जा सकता है परन्तु भौगोलिक दष्टि से वस्तु स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है। भिक्षुधर्मरक्षित का मत है कि हस्थिगाम के अवशेष बिहार राज्य के आधुनिक हाथिशाल नामक ग्राम के रूप में देखे जा सकते हैं। उन्होंने "अम्बगाम को मल्लराष्ट्र के अन्तर्गत बताया है। उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि धर्मरक्षित ने जम्बुगाम, हत्थिगाम, अम्बगाम और भोगनगर को मल्लराष्ट्र के अन्तर्गत ही माना है, किन्तु यह मत उचित नहीं प्रतीत होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि महापरिनिव्वाणसुत्त में ग्रामों का जो क्रम दिया गया है, वह माननीय विद्वान् को फाजिलनगर-साठियाँव को पावा सिद्ध करने में सहायक नहीं था, इसीलिए उन्होंने क्रम में परिवर्तन किया है, परन्तु यह बुद्धिगम्य नहीं लगता है। उपरोक्त यात्रा वर्णन से यह प्रतीत होता है कि जम्बुगाम और पावा के मध्य भोगनगर स्थित था । वैशाली और पावा के मध्य स्थित उपयुक्त पाँच गाँवों ( भण्डगाम, हत्थिगाम, अम्बगाम, जम्बुगाम और भोगनगर ) में से केवल प्रथम दोनों (भण्डगाम और हथिगाम) पालि विवरण के अनुसार निश्चित रूप से वज्जि जनपद में थे। शेष तीन किस जनपद में स्थित थे इसको पालि साहित्य में कोई सूचना नहीं मिलती है। १. भिक्षुधर्मरक्षित, कुशीनगर का इतिहास, पृ० ७ २. दीघनिकाय, महापरिनिव्वाणसुत्त ( हि० ), २/३, पृ० १३५ ३. भिक्षुधर्मरक्षित, कुशीनगर का इतिहास, पृ० १७ ४. भिक्षुधर्मरक्षित, कुशोनगर का इतिहास, पृ० ५७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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