SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 161
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राग्बुद्धकालीन मार्ग : १४१ पावा होता हुआ यह मार्ग वैशाली पहुँचकर, दक्षिण रास्ते से मिल जाता था। फिर वहाँ से दक्षिण-पूर्व को दिशा में मुड़कर भदिया, चम्पा, कजंगल होता हुआ ताम्रलिप्ति नगर पहुँचता था । वैशाली से दक्षिण राजगृह का मार्ग पालिग्राम, उरुवेल, गोरथगिरि ( पहाड़ी ) होता हुआ राजगृह पहुँचता था। कुरुक्षेत्र से राजगृह के इस मार्ग का उल्लेख, महाभारत ( २/१८/२६/३० ) में भी है । अर्जुन और भीम को साथ लेकर कृष्ण इसी मार्ग से जरासन्ध के पास राजगृह पहुँचे थे। महाभारत के अनुसार यह मार्ग कुरुक्षेत्र से आरम्भ होकर, कुरु जंगल के मध्य होकर तथा सरयू पार कर, पूर्व कोसल ( शायद कपिलवस्तु ) होकर मिथिला पहुँचता था। तत्पश्चात् गंगा और सोन के संगम को पार कर वह गोरथगिरि पहुँचता था, जहाँ से राजगृह स्पष्ट दृष्टिगोचर होता था।" ___ महाभारत में कर्ण की नेपाल-विजय के वर्णन-प्रसंग में कुशीनगर, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कोसल आदि प्रसिद्ध नगरों की विजय के साथ इरावती ( राप्ती), गण्डक नदी को पार कर नेपाल नरेश को पराजित करने का उल्लेख है। इसके पश्चात् हिमालय से उतर कर उसने पूर्व दिशा की ओर आक्रमण किया। इस प्रकार इसी क्षेत्र से गण्डक पार कर नेपाल जाने का मार्ग निश्चित हो गया था, क्योंकि इस क्षेत्र में गण्डक मैदान में उतरती है। प्रमुख नगरों के लिए अवागमन का राज्य मार्ग यहीं से होकर जाता था। भीम की दिग्विजय का भी महाभारत में विस्तार से वर्णन मिलता है । विजय अभियान में उन्हें गण्डक पार कर, विदेह जनपद जाना पड़ा १. मोतीचन्द्र सार्थवाह, पृ० १९ २. नेपालविषये ये च राजानस्ता नवाजयत् । अवतीर्य ततः शैलात् पूर्वो दिशमभिद्रुतः ॥७॥ महाभारत, वनपर्व, अ० २५४, श्लोक ७, पृ० १६५५, गीता प्रेस,. गोरखपुर, ३. ततः स गण्डकान्छूरो विदेहान् भरतर्षभः । विजित्याल्पेन कालेन दशार्णानजयत प्रभुः ॥४॥ तत्र दाशार्णको राजा सुधर्मा लोमहर्षणम् । कृतवान् भीमसेनेन महद् युद्धं निरायुधम् ।।५।। महाभारत, सभापर्व, अध्याय २९, श्लोक ४-५, पृ० ७५१, गीता प्रेस गोरखपुर। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy