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पावा-पड़रौना अनुशीलन : ११९ ३-तीसरी मूर्ति का विवरण
पादपीठ पर स्थित चतुर्भुज भगवान् विष्णु की खड़ी प्रतिमा है जिसके मस्तक पर सुन्दर कलात्मक, छत्रयुक्त मुकुट सुशोभित है। मूर्ति कटि से नीचे जानु पर्यन्त तक धोती धारण की हुई है और ऊपर उत्तरीय धारण की हुई प्रतीत होती है। दोनों लम्बे कान, कुण्डलयुक्त हैं। मूर्ति का गला गलबन्द से सज्जित है और वक्षस्थल पर एक लड़ी का हार चित्रित है । इसके दाहिने हाथ में गदा और बायें हाथ में पाश है। इसके दो हाथों में कंगन सुशोभित हैं, जबकि शेष दोनों तरफ के दोनों हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में ठीक नीचे दाहिने तरफ खड़े हुए पुरुष और बायीं तरफ खड़ी हुई नारी के मस्तक पर स्थित हैं। आशीष प्राप्त करती हुई पुरुष-मूर्ति सुन्दर केश-विन्यास, कान में कुण्डल, कमर के नीचे वस्त्र धारण की हुई बहत ही कलात्मक मुद्रा में है। इस मूर्ति का बायाँ हाथ गदाधर की मूर्ति की
ओर उठा हुआ है तथा दायाँ हाथ नीचे की ओर झुका हुआ है, जो कि ठीक नीचे की ओर बैठी हुई भगवान् गदाधर की ओर ध्यानावस्थित मुद्रा में पुरुष प्रतिमा के मस्तक पर है। जिससे यह प्रतीत होता है कि वह इसको आशीर्वाद दे रहा है। इस विशाल प्रतिमा की बायीं ओर कलात्मक मुद्रा में खड़ी, एक नारी का चित्र अंकित है, जिसका दाहिना हाथ गदाधर की विशाल प्रतिमा की ओर उठा हुआ है तथा बायाँ हाथ नीचे बैठी हुई गदाधर की ओर ध्यानावस्थित नारी प्रतिमा को आशीर्वाद देते हुए उसके मस्तक पर है। नारी का जूड़ा सहित केश-विन्यास अद्भुत है। कान में कुण्डल सुशोभित है। वह कमर के नीचे वस्त्र धारण किये हुए है। दोनों मूर्तियों के दोनों हाथों के ठीक नीचे बैठे पुरुष के नीचे पुरुष, नारी के नीचे नारी की मूर्ति है, जो ऊपर वाली मूर्तियों से आशीर्वाद ग्रहण कर रही है। बैठी हुई ये दोनों प्रतिमायें उत्तरीय धारण किये हुए हैं और भगवान् गदाधर की ओर उन्मुख होकर करबद्ध होकर पूजा की मुद्रा में दृष्टिगोचर हो रही हैं । यह भगवान् गदाधर की मूर्ति अपने आप में वास्तुकला की एक
अनुपम उपलब्धि है। ____बुकनन' दूसरी मूर्ति को बुद्ध की मूर्ति बताते हैं और इसके सम्बन्ध में एक घटना का उल्लेख करते हैं- "इस मूर्ति की दार्शनिक मुस्कान ने
१. माण्टगोमरी मार्टिन, एम० आर०, हि० ए०, टो० स्टे० इ० इ०, खण्ड २,
पृ० ३८२-३८३ के मध्य । २. वही।
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