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________________ ११८: महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श बहुत ही कलात्मक है। कान कुण्डलयुक्त हैं। कटि के ऊपर का भाग निर्वस्त्र है और अधोभाग घुटने के नीचे तक वस्त्रयुक्त है । वस्त्र धारण की शैली बहुत कलात्मक है । इस मूर्ति के ठीक ऊपर एक पुरुष की कला - त्मक चैतन्य स्थिति में बैठ हुई मूर्ति है, जो दोनों हाथों से तलवार धारण किये हुए है। इसका दायाँ पैर नीचे की ओर तथा बायाँ पैर ऊपर की ओर मुड़ा हुआ है और इसके ठीक ऊपर डमरू निर्मित है, जिसको बजाते हुए दो नारी हाथ दृष्टिगोचर होते हैं । महावीर की मूर्ति के नीचे बायीं ओर सिंह की मुखाकृति निर्मित है, जो शान्त मुद्रा में है । मूर्ति के नीचे मध्य में अत्यन्त सुन्दर पंखुड़ियों वाला कमल निर्मित है, कमल के ऊपर बैठी हुई एक नारी की मूर्ति है जो सिर पर मुकुट तथा कान में कुण्डल धारण किये हुए है । इस मूर्ति के कटि के ऊपर का भाग निर्वस्त्र, नीचे का भाग वस्त्रयुक्त है । ऐसा प्रतीत होता है कि नारी के बायें हाथ में एक निर्वस्त्र बालक और दाहिने हाथ में कमल की पंखुड़ियाँ हैं । यह मूर्ति किसी आसन के सहारे पर बैठी हुई प्रतीत होती है । इस मूर्ति के दोनों ओर दो मालाधारी विद्याधर अंकित हैं, जिसमें बायें पार्श्ववाले पुरुष के दाहिने हाथ में मूसल तथा बायें हाथ में अत्यन्त मजबूती से पकड़ी गई तलवार है । दाहिनी ओर की मूर्ति के, दाहिने हाथ में मूसल सदृश कोई वस्तु है तथा उसका बायाँ हाथ उसके जाँघ पर है। हर दृष्टि से यह मूर्ति बहुत ही भव्य, अद्भुत एवं कलाप्रतिभा का श्रेष्ठ उदाहरण है । इस भव्य प्रतिमा के विषय में डॉ० बाजपेयी' स्पष्ट रूप से स्वीकार करते हैं कि यह जैन तीर्थंकर की ही भव्य मूर्ति है, जो पद्मासन मुद्रा में है। इसका पीठासन कलात्मक ढंग से बना हुआ है । इसके दोनों तरफ़ मालाधर विद्याधर दृष्टिगोचर होते हैं । पीठासन के सम्मुख अम्बिका की सुन्दर प्रतिमा है, जिसकी गोद में बालक है, जिसे वह बायें हाथ से पकड़ी हुई है । दाहिने हाथ में विकसित कमल का डण्ठल ग्रहण को हुई है । इसके विषय में प्रो० मधुसूदन ढाकी' का मत है कि "यह काले पत्थर की कलात्मक प्रतिमा तीर्थंकर नेमिनाथ की होनी चाहिए जिसका निर्माण काल लगभग छठवीं या सातवीं शताब्दी होना चाहिए ।" श्रीकृष्णदेव ने भी इसकी पुष्टि की है । १. लोकेशन ऑव पावा, पुरातत्त्व, पृ० ४३ २. व्यक्तिगत वार्ता के आधार पर । ३. व्यक्तिगत वार्ता के आधार पर । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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