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________________ पावा-पड़रौना अनुशीलन : ११७ है, कर्ण में कुण्डल धारण किये हुए है, गले में एक गलबन्द, कन्धे पर दो सुन्दर लड़ियों के हार तथा कमर में कई लड़ियों की करधनी द्वारा वह सुशोभित है। वह नारी पारदर्शी वस्त्र की कंचकु धारण की हुई प्रतीत होती है, लगता है कि कंचुक उसके बाँह के ऊपरी भाग तक है। कटि के नीचे का भाग जाँघपर्यन्त वस्त्रयुक्त है। उस विशाल प्रतिमा की बायीं तरफ नीचे की ओर पीठिका पर कलास्मक मुद्रा में एक पुरुष की मूर्ति दृष्टिगोचर होती है, इसके केश विन्यास अनुपम हैं। इसके कान में कुण्डल है, यह दाहिने हाथ में करताल सदृश कोई वस्तु धारण किये हए है जबकि हाथ खण्डित है। कटि के ऊपर का भाग निर्वस्त्र है और अधोभाग में सुन्दर कलात्मक वस्त्र धारण किये हुए है । मूर्ति की कटि कई लड़ियों की करधनी से सुसज्जित है। इस विशाल प्रतिमा को डॉ० बाजपेयी' बुद्ध की ही प्रतिमा मानते हैं जिसके दोनों तरफ कई छोटी-छोटी प्रतिमायें तथा सहायकों की प्रतिमायें दृष्टिगोचर होती हैं। प्रो० मधुसुदन ढाकी के कथनानुसार "यह विशाल खण्डित प्रतिमा अद्धवस्त्र धारण किये हए है, अतः इसके जिन प्रतिमा होने की सम्भावना है। इसका निर्माण राजस्थान एवं गुजरात की मूर्ति शैली पर आधारित है, जिसका निर्माण काल १०वीं अथवा ११वीं सदी होना चाहिये।" कृष्णदेव ने भी इसे शैली के आधार पर दसवीं सदी का स्वीकार किया है। २-द्वितीय मूर्ति का विवरण पद्मासन में ध्यानावस्थित मुद्रा वाली २२वें जैन तीर्थंकर नेमिनाथ की काले पत्थर की विचित्र एवं विशाल प्रतिमा है। इसके ऊपर तीन छत्र सुशोभित हैं जो क्रमशः नीचे से ऊपर की ओर छोटे होते चले गये हैं। महावीर के लम्बे कान कुण्डलयुक्त हैं। मूर्ति के बाँयें भाग में कलात्मक मुद्रा में उपेन्द्र की मूर्ति है जिसके दाहिने हाथ में चँवर सुसज्जित है और बायाँ हाथ नीचे की ओर दोनों जंघों के मध्य स्थित है। केश विन्यास १. प्रो० बाजपेयी, लोकेशन ऑव पावा, पुरातत्त्व, पृ० ४३ ।। २. व्यक्तिगत वार्ता के आधार पर। ३. दिनांक १८-४-१९८९ ( महावीर जयन्ती ) की व्यक्तिगत वार्ता के आधार पर। ४. माण्टगोमरी मार्टिन, एम० आर०, हि० ए ०टोस्टे०ई०३०, वाल्यूम ११, पृ० ३८२-३८३ के मध्य । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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