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________________ ११६ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श पड़रौना के प्राचीन टीले से भी ग्रामवासियों द्वारा ईंटें तथा कलाकृतियाँ निकालकर प्रयोग में लायी गई हैं जिससे अधिकांशतः पुरातात्त्विक साक्ष्य नष्ट हो गये हैं। प्रो० बाजपेयी' ने अक्टूबर १९८५ में कसया और पड़रौना की यात्रा कर टीले का विधिवत् निरीक्षण किया। इसकी दुर्दशा देखकर उनका विचार था कि आरम्भ से ही अत्यन्त निर्दयतापूर्वक इस प्राचीन टीले से अत्यधिक सामग्रियाँ निकाली गई हैं। इससे स्पष्टतया यह प्रमाणित होता है कि इस स्थान की प्राचीनता के अधिकांश साक्ष्य समाप्त हो चुके हैं। निस्सन्देह यह टीला अति प्राचीन है । ___ जनश्रुति के अनुसार टीले के दक्षिण-पश्चिम के कोने के खेत में एक लम्बी मूर्ति अथवा अशोक स्तम्भ का खण्डित भाग दबा हुआ है, जिसे कृषक ने खोदते समय खेत में देखा था। लेकिन उसने खेत से अधिकार समाप्त होने के भय से भयभीत होकर उसे खेत में ही दबा दिया । सर्वेक्षण काल में बुकनन ने तीन मूर्तियों का रेखांकन किया था जिनका विवरण निम्नलिखित है । ( देखिये फलक १, चित्र क, ख, ग)। इस रेखाचित्र के नीचे स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि : “दी इमेजेज फ्राम दी रुइन्स एट केलया ओल्ड टेम्पल नियर पररौना।"२ १-प्रथम प्रतिमा का विवरण ___ कन्धे तक की पुरुष की खड़ी विशाल प्रतिमा पीठिका पर स्थित है, यह गर्दन तथा भुजारहित, खण्डित विशाल मूर्ति है, नाभि के नीचे तक पुरुष आकृति है, किन्तु उसके ऊपर वस्त्रावृत वक्षस्थल है। मूर्ति का कटि से निचला भाग घुटने तक वस्त्र-सज्जित है। चामरधारी इन्द्र तथा उपेन्द्र दोनों पार्श्व में खड़े हैं। यदि गर्दन सहित, मूर्ति होती तो कुछ स्पष्ट रूप से कहा जाता। यह अद्भुत मूर्ति विद्वानों के लिए एक समस्या बनी प्रतिमा के ऊपरी ओर ध्यानावस्थित अवस्था में दो-दो बोधिसत्व अथवा महावीर की मूर्तियाँ दोनों तरफ दृष्टिगोचर हो रही हैं। दाहिने तरफ, नीचे की ओर, सिंहासन पर सुन्दर कलात्मक नृत्यमुद्रा में खड़ी हुई एक हाथ से चँवर कन्धे पर रखी हुई नारी की प्रतिमा दिखलाई देती है, जिसका दूसरा हाथ जाँघ पर रखा हुआ है । उसका केश-विन्यास आकर्षक १. प्रो० बाजपेयी, कृष्ण दत्त, लोकेशन ऑव पावा, पुरातत्त्व, पृ० ४३ २. माण्टगोमरी मार्टिन, एम० आर०, हिस्ट्री, एण्टीक्विटीज टोपोग्राफी एण्ड स्टेटिस्टिक्स ऑव ईस्टनं इण्डिया, वाल्यूम ११, पृ० ३८२ और ३८३ के मध्य । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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